ये धरती राजस्थान की

ये धरती राजस्थान की


इंद्रधनुष के रंग संजोये
बारिशों के सहगान की ।
यादों में बसती है अब भी
ये धरती राजस्थान की ।
कहती बावडियां उन दिनों की
निर्मल पानी था कल कल ।
आज सूखी पड़ी दे रही
आवाजे बीती पल पल की ।
कण कण में बिखरी कहानियां
यादों में बसती है अब भी
ये धरती राजस्थान की।
रोज जहाँ सूरज ढलता है
बातें करता खलिहान की
गेहूं मक्का ज्वार बाजरा
स्वाद भरे स्वाभिमान की ।
त्याग, प्रेम सौहार्द की दुनिया
मन छूती राजस्थान की ।
साझँ ढले सुनते मंदिरों में
भजन कीर्तन सहगान की ।
यादों में बसती है अब भी
ये धरती राजस्थान की ।
कहे भारती अंतस के
आसूं बांटे कर्म शील किसान की।
यादों में बसती अब भी
ये धरती राजस्थान की ।


मंगल व्यास भारती
गढ़ के पास , चूरू राजस्थान