जलवायु आपातकाल घोषित कर इंग्लेण्ड ने दिखाई है दुनिया के देशोें को नई राह

(डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद शर्मा)


पर्यावरण प्रदुषण को लेकर आज सारी दुनिया चिंतित है, दुनिया के देशों के बड़े-बड़े सम्मेलन हो रहे हैं, एक जाजम पर बैठकर चिंता तो खूब जताई जाती है पर अपने हितों को देखते हुए एक देश दूसरे देश पर ही खास कदम नहीं उठाने का आरोप प्रत्यारोप आम है। ऐसे में इंग्लेण्ड की सरकार द्वारा अपने देश मेें मई के पहले सप्ताह में जलवायु आपातकाल घोषित करने को शुद्ध हवा के झोंके के रुप में देखा जाना चाहिए। हांलाकि इसके लिए इंग्लेण्ड के नागरिकों को अप्रेल के अंतिम सप्ताह में लगातार 11 दिन तक विरोध प्रदर्शन करने पड़े। यह भी सही है कि इंग्लेण्ड में ही जलवायु आपातकाल घोषित होने का श्रेय लेने की होड़ मच चुकी है। इंग्लेण्ड की लेबर पार्टी का दावा है कि सरकार द्वारा उनके दल द्वारा लगातार दबाव बनाए जाने का परिणाम है जलवायु आपातकाल। दावें-प्रतिदावों से कोई खास अंतर नहीं पड़ने वाला है पर इंग्लेण्ड की सरकार ने दुनिया के देशों को एक संदेश दे दिया है। यह संदेश आज की आवश्यकता है तो आज कदम नहीं उठाए गए तो भावी भयावहता का साफ संकेत भी है। 
 दुनिया के देश बीजिंग की स्थिति देख चुके हैं। हमारे देश में दिल्ली व अन्य महानगरों की स्थिति भी कमोबेस कम चिंतनीय नहीं है। यह स्थिति दुनिया के अधिकांश देशों में आम होती जा रही है। जंगल कटते जा रहे है, इनका दायरा कम होता जा रहा है। जीवन शैली में बदलाव के चलते इलेक्ट्र्ोनिक उत्पादों का उपयोग इस कदर बढ़ गया है कि इनके द्वारा उत्सृजित कार्बन पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित करने लगा है। पेट्र्ोकेमिकल उत्पादों को उपयोग इस कदर बढ़ गया है कि पीछे जाना मुश्किल होता जा रहा है। पानी के सा्रेत नदियां चिंतनीय स्तर पर प्रदुषित हो गई है। गगनचुंबी इमारतें, वातावरण के प्रतिकूल लोहे और कंकरिट के जंजाल के चलते तापमान को प्रभावित कर रही है। खेत की मिट्टी रासायनिक उर्वरकों और जहरीले कीटनाशियों के प्रभाव से प्रदुषित होने के साथ ही उर्वरा शक्ति खोती जा रही है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशिकों के उपयोग से तैयार उत्पादों को खाने का प्रतिकूल असर स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगा है। प्रकृति से विकृति की और जाती हमारी सुविधाएं या यों कहेें की जीवन को सुविधाजनक बनाने के साधन ही विपरीत असर दिखाने लगे हैं। साधनों की अत्यधिकता और सहज पंहुच का परिणाम है कि शुद्ध हवा, शुद्ध पानी, स्वास्थ्यवर्द्धक खाद्य सामग्री आज बीते जमाने की बात हो चुकी है। अब तो स्थिति यह होती जा रही है कि हमारे द्वारा उपयोग में ली जाने वाली कमोबेस अधिकांश वस्तुएं सीधे सीधे पर्यावरण को प्रभावित करने लगी है। एक ही घर में एक से अधिक वाहन, यहां तक कि लक्जरियस वाहनों और उत्पादों की होड़ सीधे सीधे पर्यावरण को प्रभावित कर रही है। प्लास्टिक का दुष्परिणाम दुनिया के सामने आ चुका है। इस पर रोक लगाया जा रहा है। 
 दरअसल प्रकृति से खिलवाड़ या यों कहें कि छेड़छाड़ का ही परिणाम है कि मौसम प्रभावित होने लगा है। सर्दी निकलने के बाद सर्दी का असर, आए दिन भंयकर तूफानों से सामना, अतिवृष्टि व अनावृष्टि का प्रकोप, बेमौसम की बाढ़ तो दूसरी और सूखा हमारे सामने हैं। गर्मियों में तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी होने लगी है। मौसम चक्र अपनी निर्धारित अवधि से कम ज्यादा और देर सबेर होने लगा है। पिछले दो तीन सालों से आने वाले समुद्री तूफानों और सुनामियोें में बढ़ोतरी हुई है। ग्लेसियर पिघलते जा रहे हैं। नदियों के उद्गम स्थल मीलों पीछे जा रहे है तो एक और अधिकांश नदियां बरसाती नदियों में बदलती जा रही है तो दूसरी और इनके पाट छोटे होते जा रहे हैं। हांलाकि प्रदुषण को लेकर आज सारी दुनिया चिंतित है। प्रदुषण से निपटने के उपायों पर भी चिंतन मनन होने लगा है। उपाय खोजे जा रहे हैं। पांच सितारा इलेक्ट्र्ोनिक उत्पाद आने लगे हैं वहीं अब इलेक्ट्र्ोनिक वाहनों की और ध्यान दिया जाने लगा है। पर यह सब नाकाफी ही माना जाएगा। ऐसे में इंग्लेण्ड सरकार द्वारा जलवायु आपातकाल की घोषणा दुनिया देशों के लिए सबक होने के साथ ही इस दिशा में आगे बढ़ने की राह भी है।
 इंग्लेण्ड की सरकार ने जलवायु आपातकाल घोषित करने के साथ ही रोडमेप भी तय किया है। कार्बन उत्सर्जन की इस तरह की नीति बनाकर कर क्रियान्वित करनी होगी जिससे 2050 तक इसका स्तर शून्य तक आ जाए। इसी तरह से 2035 तक इंग्लेण्ड में आने वाली सभी कारे इलेक्ट्र्ोनिक होगी। इसके लिए वाहनों को चार्ज करने की आधारभूत सुविधा विकसित की जाएगी। खेती और इस से जुड़ी नीतियों में बदलाव लाया जाएगा। इसके साथ ही वन क्षेत्र को बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया है। अच्छी बात यह है कि जनसाधारण की भागीदारी भी तय करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए लोगों को आने जाने के लिए वाहनों को साझा करने या सार्वजनिक वाहनों के उपयोग पर जोर देना होगा, हरी सब्जियों और खाद्यान्नों की और लोटना होगा। खाने की बर्बादी को शून्य स्तर पर लाना होगा तो घरों में एलईडी के उपयोग, पांच सितारा रेटिंग वाले उपकरणों का उपयोग आदि पर खास ध्यान देना होगा। यह उपयोग सीधे सीधे आम आदमी और उसके व्यवहार से जुड़े हैं ऐसे में आमआदमी की सहभागिता जरुरी हो जाती है। दुनिया के दूसरे देश भी भले ही अभी जलवायु आपातकाल आदि की घोषणा ना करे पर यह रोड मेप ऐसा है जिसे आसानी से अपनाया जा सकता है। आमनागरिक अपने देननदिन के कामों में इन रास्तों को अपनाना शुरु करें तो पर्यावरण को प्रदुषित होने से काफी हद तक बचाया जा सकता है। इंग्लेण्ड ने दुनिया के देशोें को एक राह दिखाई है इस राह को दुनिया को देशों को अपनाने की पहल देरसबेर करनी ही होगी।