मुख्यमंत्री नितिश कुमार का वामपंथी उग्रवाद के संबंध में सम्बोधन

दिल्ली में आयोजित वामपंथी उग्रवाद के समीक्षा बैठक में नीतीश कुमार का पूर्ण भाषण माननीय केन्द्रीय गृहमंत्री एवं अन्य केन्द्रीय मंत्रीगण, माननीय मुख्यमंत्रीगण, केंद्र एवं राज्य सरकारों के पदाधिकारीगण 
2.  देश में वामपंथी उग्रवाद से निबटने तथा इससे प्रभावित राज्यों की सरकार एवं पदाधिकारियों के साथ रणनीति के संबंध में विचार-विमर्श हेतु इस बैठक को आयोजित करने के लिए मैं गृह मंत्रालय को धन्यवाद देना चाहूँगा। केन्द्र एवं प्रभावित राज्यों को एक साथ बैठकर आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य और इससे संबंधित कुछ गम्भीर मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। हमारे देश की बुनियाद साम्प्रदायिक सद्भाव, सामाजिक समरसता तथा समावेशी विकास पर आधारित है। मुझे विश्वास है कि आज की बैठक में हुए विचार-विमर्श से ऐसी सार्थक दिशा मिलेगी, जो वामपंथी उग्रवाद से निबटने और इनका साथ छोड़ने वालों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में मदद करेगी।
3.  हिंसा स्पष्ट रूप से देष की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। वामपंथी उग्रवाद की हर घटना इस बात का प्रमाण है कि इस संगठन का उद्देश्य आमजनों की भलाई नहीं बल्कि अलोकतांत्रिक, गैर-संवैधानिक और हिंसात्मक तरीकों का प्रयोग कर नागरिकों को उनके वाजिब अधिकार, क्षेत्र का विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, संचार के आधुनिक माध्यमों से दूर रखना है तथा भय का वातावरण बनाना है। इस भय के वातावरण के कारण विकासात्मक कार्यों में बाधा पड़ती है एवं हिंसा का एक दुष्चक्र आरंभ हो जाता है। देश के जिन भागों में वामपंथी उग्रवादी तत्वों ने अपना प्रभुत्व जमाया उन प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्ध उत्तम प्राकृतिक सम्पदा पर जबरन कब्जा किया गया, न कि उस क्षेत्र की आम जनता का सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान किया गया। इनके द्वारा स्थापित कानूनी व्यवस्था की अवहेलना की गयी तथा पंचायती राज के स्थानीय शासन व्यवस्था का भी अतिक्रमण किया गया। इन सबके बावजूद हमें यह नहीं भूलना है कि ऐसे तत्व एवं इनके प्रभाव से इन संगठनों में शामिल हुए लोग हमारे समाज एवं देश के ही अंश हैं। सामाजिक और आर्थिक असमानता, विकास में क्षेत्रीय असंतुलन तथा अनेक स्तरों पर भ्रष्टाचार के कारण वंचित लोगों एवं क्षेत्रों में असंतोष उत्पन्न हुआ। इसी असंतोष एवं असंतुलन का फायदा उठाने में ये संगठन सफल रहे हैं। रणनीति बनाते समय हमें इन सब बातों पर उचित ध्यान देना होगा। क्षेत्र एवं समाज के विकास को हमारी सामरिक रणनीति का केन्द्र-बिन्दु रखना होगा, जो राज्य एवं नागरिकों के विकास के दीर्घगामी उद्देश्य की पूर्ति करेगा। इसके साथ ही सुरक्षा बलों की कार्रवाई एवं अभियानों का उपयोग शासन को अपनी पहुँच बढ़ाने तथा वामपंथी उग्रवादियों के नेतृत्व एवं संगठनात्मक क्षमता को निष्प्रभावी करने के लिए किया जाना होगा। 
4.  बिहार लम्बे समय से वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित रहा है, जिसके कारण पूर्व में कई बड़ी घटनाएं भी घटित हुई हैं। राज्य सरकार इसके प्रति प्रारम्भ से ही सजग रही है तथा द्विपक्षीय रणनीति के द्वारा इसका प्रभावकारी सामना किया है। जहाँ एक ओर विशेष कार्य दल का गठन कर केंद्रीय सशस्त्र बलों के सहयोग से क्षेत्र प्रभुत्व के साथ आसूचना पर आधारित अभियान चलाकर उग्रवादी गतिविधियों पर लगाम लगाई गई है, वहीं दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्रों के लिए विकासोन्मुखी एवं कल्याणकारी पहल भी की गई है। परिणाम स्वरूप वर्तमान समय में उग्रवादी गतिविधि काफी हद तक नियंत्रण में है, जो गृह मंत्रालय के आँकड़ों से भी स्पष्ट है। यदि पिछले 5 वर्षों की तुलना की जाए तो वर्ष 2013 की तुलना में वर्ष 2018 में हिंसा की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी (103 से 40) तथा इन घटनाओं के कारण हुई मृत्यु की संख्या में 65 प्रतिशत की कमी (37 से 13) आई है। उग्रवादी हिंसा के परिदृश्यों में सुधार का श्रेय निश्चित रूप से इन क्षेत्रों में विकास योजनाओं का प्रभावकारी क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण तथा सुरक्षा बलों की संख्या एवं क्षमता में वृद्धि तथा अभियान संबंधी रणनीति को तो दिया ही जाएगा, साथ ही साथ राज्य सरकार द्वारा समेकित रणनीति के तहत किए गए प्रयोगों एवं सुधारों को भी जाएगा। इनमें से कुछ का मैं उल्लेख करना चाहूँगा।
5.  वामपंथी उग्रवाद का सामना करने के लिए राज्य सरकार ने बहुमुखी रणनीति बनायी है। न्याय के साथ विकास के सिद्धान्त पर आधारित 'आपकी सरकार आपके द्वार' योजना वर्ष 2006 से प्रभावित इलाकों में आरंभ की गई जो उन क्षेत्रों में विकास के साथ सुरक्षा प्रदान करने के हमारे दृष्टिकोण का केन्द्र-बिन्दु रही है। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 8 जिलों के 25 प्रखंडों के 65 पंचायतों के योग्य लाभार्थियों को उनके द्वार पर ही पूर्ण रूप से लाभान्वित करने के उद्देश्य से आवास, विद्यालय भवन, सामुदायिक भवन, ग्रामीण सड़क निर्माण के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण तथा कौशल विकास की समेकित योजना का कार्यान्वयन किया गया है। इस योजना के अंतर्गत प्रभावकारी जनसहभागिता द्वारा विकासात्मक कार्यों को संकेन्द्रित कर संतृप्ति की स्थिति तक ले जाया गया तथा विवाद एवं शिकायत निराकरण प्रणाली को अधिक सशक्त एवं प्रभावकारी बनाया गया। राज्य सरकार की इस पहल को काफी सफलता मिली। इसके बाद केन्द्र सरकार ने प्।च् ;प्दजमहतंजमक ।बजपवद च्संदद्ध योजना लागू की। 
6.  अभिनव प्रयोग के रूप में बिहार देष का पहला राज्य है, जिसमें उग्रवादी तत्वों की गतिविधि पर रोक लगाने के लिए उनके द्वारा अवैध तरीके से अर्जित की गई संपत्ति को जप्त करने एवं उनके धन स्रोतों का पता लगाने का कार्य न्दसंूनिस ।बजपअपजपमे ;च्तमअमदजपवदद्ध ।बजए 1967 के तहत प्रारम्भ किया गया है। इसके अनुकूल परिणाम देखे गए हैं। अभी तक 44 मामलों में से 32 मामलों में 6.4 करोड़ रुपए की संपत्ति जप्त की जा चुकी है। पूर्व में आपराधिक काण्डों में उग्रवादी तत्वों के विरुद्ध अभियोजन किया जाता था, परन्तु उनके द्वारा अर्जित की गई संपत्ति उनके अथवा उनके परिवार के सदस्यों एवं असामाजिक संगठनों के उपभोग हेतु उनके पास ही बनी रहती थी, जिससे उनके विधि-विरुद्ध कार्यों के लिए आर्थिक स्रोत बना रहता था। अब यही संपत्ति जप्त हो जाने से उनके संगठन की क्षमता का सीधा-सीधा ह्य्रस होता है। हमारा सुझाव होगा कि इसे समेकित रणनीति का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
7.  च्तमअमदजपवद व िडवदमल स्ंनदकमतपदह ।बज ;च्डस्।द्धए 2002 के अन्तर्गत वर्तमान में 09 प्रस्ताव समर्पित किये गये हंै जिसमें 05 प्रस्ताव में प्रवर्तन निदेशालय ;म्दवितबमउमदज क्पतमबजवतंजम. म्क्द्ध द्वारा कुल 2.94 करोड़ रूपये की चल/अचल सम्पति जप्त की जा चुकी है एवं 04 मामलों में कुल 2.80 करोड़ रूपये की चल/अचल सम्पति जप्त करने हेतु प्रवर्तन निदेशालय के पास प्रस्तावित है। राज्य की आर्थिक अपराध इकाई द्वारा अपराधियों एवं वामपंथी उग्रवादियों द्वारा अर्जित सम्पत्ति की पहचान करते हुए धन-शोधन निवारण, अधिनियम, ;च्डस्।द्ध के अन्तर्गत कार्रवाई करने एवं सम्पत्ति जब्त करने के प्रस्ताव प्रर्वतन निदेशालय को भेजे गये हैं। बैठक की कार्यसूची में भी श्बीवापदह सिवू व िनिदके जव ब्च्प् ;डंवपेजद्ध ंदक ंििपसपंजमेश् की चर्चा की गई है। इस संबंध में उल्लेख करना है कि हमने केन्द्र सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था कि बिहार के पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को च्डस्। के तहत 5 करोड़ रूपये तक की सीमा में कानून के अनुरूप कार्रवाई की शक्ति प्रदान करने की स्वीकृति दी जाये। इस प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार की अस्वीकृति संसूचित की गई है। हम आपसे पुनः आग्रह करेंगे कि धन शोधन के संदर्भ में प्रभावकारी कार्रवाई करने के लिए केन्द्र सरकार को राज्य सरकार के प्रस्ताव पर पुर्नविचार करना चाहिए। 
8.  किसी भी पुलिस कार्रवाई अथवा अभियान की सफलता की रीढ़ उससे पहले उपलब्ध कराई गई सटीक आसूचना एवं उसका विश्लेषण होती है। संवाद आदान-प्रदान के प्रचलित माध्यम यथा सोशल मीडिया पर निगरानी एवं विश्लेषण हेतु साईबर लैब की स्थापना की गयी है। आसूचना तंत्र को अधिक पेशेवर, अधिकारी-उन्मुख तथा कार्य केन्द्रित बनाने के लिए पुनर्गठन किया गया है। राज्य सरकार का ध्यान वामपंथी उग्रवाद-रोधी अभियान में लगे हुए पुलिस तथा सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाने की तरफ भी रहा है। अभियान के लिए गठित विशेष कार्य बल को विशेष प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। वामपंथी उग्रवाद में शहीद होने वाले पुलिस कर्मियों के परिवारजनों के पुनर्वास हेतु समुचित व्यवस्था की गई है। 
9.  विशेष कार्य बल वर्ष 2001 में 02 ेुनंक के साथ प्रांरभ किया गया जो अभी बढ़कर 33 ेुनंक हो चुका है तथा निकट भविष्य मंे 50 ेुनंक किया जाना लक्षित है। इन ेुनंक को अत्याधुनिक शस्त्रों एवं आसूचना संकलन के नवीनतम माध्यमों से सुदृढ़ किया गया है। उन्हें ग्रेहाउण्ड्स, हैदराबाद एवं एन.एस.जी., मानेसर आदि प्रशिक्षण संस्थानों में भेजकर अत्याधुनिक प्रशिक्षण दिलाया जाता है। वर्ष 2016 से अब तक कुल 60 पदाधिकारी एवं 688 जवानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिसके कारण राज्य पुलिस द्वारा उग्रवादी तत्वों के विरुद्ध चलाए गए अभियानों में नियमित सफलता मिल रही है।  
10.  भारत सरकार के निदेश के आलोक में 03 प्दकपं त्मेमतअम ठंजजंसपवद का गठन किया जा चुका है, जिसका मुख्यालय बिहार सैन्य पुलिस-4, डुमरांव, बि.सै.पु.-12, सहरसा एवं बि.सै.पु.-15, बाल्मिकीनगर है व तीनों बटालियन उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में, नक्सल-रोधी अभियान हेतु प्रतिनियुक्त हंै। 01 ैचमपबंस प्दकपं त्मेमतअम ठंजजंसपवद का गठन किया जा रहा है, जिसका मुख्यालय बोधगया निर्धारित किया गया है जिसमें विभिन्न स्तर के पदाधिकारी/कर्मियों के कुल 1107 पदों की स्वीकृति बिहार सरकार द्वारा प्रदान की जा चुकी है। नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ कर दी जायेगी। 
11.  बिहार सरकार द्वारा उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में रिक्ति पूर्ण करने हेतु हाल ही में 115 पुलिस उपाधीक्षक, 1717 पुलिस अवर निरीक्षक की नियुक्ति की गयी है एवं 2279 पुलिस अवर निरीक्षक 9900 सिपाही की नियुक्ति की जा रही है तथा 20000 विभिन्न स्तर के पदाधिकारी/कर्मियों के बहाली की प्रक्रिया प्रस्तावित है। 
12.  पुलिस थानों के सुदृढ़ीकरण योजना के तहत उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 85 पुलिस थानों में से 84 का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है, शेष 01 का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। इन सभी 85 थानों में मानक के अनुसार 40 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की जा चुकी है तथा गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी ''विशेष आधारभूत संरचना योजना'' की नयी मार्गदर्शिका के अनुसार बिहार राज्य में उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 28 नये थानों के निर्माण की स्वीकृति दी गयी है। थाना भवनों का निर्माण कार्य प्रक्र्रियाधीन है। इस योजना को वर्ष 2020-21 तक आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। 
13.  राज्य सरकार द्वारा ब्त्च्थ् ;ब्मदजतंस त्मेमतअम च्वसपबम थ्वतबमद्ध के लिए मूलभूत संरचना को सुदृढ़ करने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया है। जेल कैम्प गया में स्थित इसके प्रशासनिक भवन, मैगजीन, कोत एवं सिपाही बैरेक का निर्माण 12.73 करोड़ रुपये की लागत से तथा अन्य 08 परिसरों में मूलभूत संरचना का सुदृढ़ीकरण 10.54 करोड़ रुपये की लागत से कराया जा रहा है। एस.एस.बी. (सशस्त्र सीमा बल) के जमुई जिला में अवस्थित 03 कैम्पों तथा गया एवं नवादा में अवस्थित 02 कैम्पों में मूलभूत संरचना का निर्माण 10.28 करोड़ रुपये की लागत से कराया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा कोईलवर (भोजपुर) में सी0आर0पी0एफ0 के बटालियन मुख्यालय हेतु 19.90 करोड़ रुपये की लागत से प्रशासनिक भवन का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। 
14.  जहाँ तक केंद्र सरकार के सुरक्षा एजेंसी एवं पड़ोसी राज्यों से सहयोग का प्रश्न है, इसके लिए क्षेत्रीय स्तर पर तो नियमित बैठक एवं अभियान चलाए ही जाते हैं, उच्चतम स्तर पर भी बिहार एवं झारखण्ड राज्य के पुलिस महानिदेशकों की समन्वय बैठक नियमित अंतराल पर की जाती है। राज्य में मुख्य सचिव के स्तर पर ''एकीकृत कमान'' का भी गठन किया गया है, जो राज्य में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे अभियान एवं उनकी आवश्यकताओं का अनुश्रवण करती है। इस एकीकृत कमान की बैठक मुख्य सचिव, बिहार की अध्यक्षता में होती है। इस वर्ष भी निकट भविष्य में बैठक का आयोजन किया जाना है। 
15.  गृह मंत्रालय ने देश में वामपंथी उग्रवादी हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित 30 जिलों की पहचान की है। इनमें से बिहार के 4 जिले यथा-गया, औरंगाबाद, जमुई एवं लखीसराय चिन्ह्ति किये गये हंै। इन जिलों में प्रभावित लोगों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए चलाई जा रही विभिन्न विकासोन्मुखी एवं कल्याणकारी योजनाओं का नियमित अनुश्रवण मुख्य सचिव, बिहार सरकार के स्तर से किया जाता है। इसके फलस्वरूप केंद्र सरकार द्वारा संचार व्यवस्था के लिए पहचान किए गए बी0एस0एन0एल0 के प्रथम चरण में 184 एवं द्वितीय चरण में 66 कुल 250 मोबाईल टाॅवर का अधिष्ठापन कार्य राज्य में सबसे पहले पूर्ण कर उन्हें ऊर्जान्वित भी किया जा चुका है। 
16.  इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई योजना त्वंक त्मुनपतमउमदज च्संद.प् ;त्त्च्.प्द्ध में कुल 666.56 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर योजना पूर्ण की जा चुकी है। त्त्च्.प्प् योजना में 60 मुख्य जिला पथों के निर्माण की कुल लम्बाई 1052.27 किलोमीटर के उन्नयन/निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इस योजना में 1040 किलोमीटर सड़क/पुलिया की 105 योजनाएं प्रगति पर हैं जिसमें अब तक 189 किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। वामपंथ उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क सम्पर्क योजना के तहत कुल 632.15 किलोमीटर लम्बाई की 84 अदद अतिरिक्त पथ/पूल जिसकी निर्माण लागत 1536 करोड़ रुपए है, का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार कर अनुमोदन हेतु भारत सरकार को भेजा गया है। इन जिलों में अन्य योजनाओं की प्रगति भी आशातीत रूप से चल रही है। त्वंक त्मुनपतमउमदज च्संद योजना के दूसरे चरण मंे सड़क सम्पर्क योजना के लिए वित्तीय पैटर्न 100 प्रतिशत केन्द्रंाश से बदलकर 60ः40 केन्द्रांशःराज्यांश कर दिया गया है। इस संबंध में राज्य सरकार अनुरोध करती है कि इस योजना में पूर्व के ही भांति केन्द्र सरकार शतप्रतिशत राशि उपलब्ध कराये। 
17. अब मैं वामपंथी उग्रवाद से निबटने के लिए कुछ सुझाव और हमारे राज्य की आवश्यकताओं को भी गृह मंत्रालय के समक्ष रखना चाहूँगा। 
  (क) केन्द्र सरकार ने उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा बलों के क्षमता संवर्द्धन और क्षेत्रीय विषमता को दूर करने के लिए संरचना संवर्द्धन की विशेष संरचना योजना ;ैचमबपंस प्दतिंेजतनबजनतम ैबीमउमद्ध प्रारम्भ की थी। इसके काफी अच्छे परिणाम देखने में आए हैं। ऐसा ज्ञात हुआ है कि इस योजना को केन्द्र सरकार द्वारा 2019-20 तक ही चलाया जाएगा। जबकि हम तो इस आशा में थे कि केन्द्र सरकार ऐसी योजनाओं को सुदृढ़ करते हुए संसाधनों में बढ़ोतरी करेगी। इस योजना के बंद हो जाने से प्रभावित जिलों में उग्रवाद नियंत्रण पर विशेष रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अतएव हमारा कहना है कि केन्द्र सरकार इन योजनाओं को पूर्व की भाँति जारी रखे। 
  (ख) आधुनिक परिवेश में जब समाज तकनीकी, आर्थिक एवं सामाजिक रूप से काफी परिवर्तनशील हो चुका है, वैसी स्थिति में यह परिकल्पना किया जाना कि पुलिस पुराने तरीकों से ही असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण पा सकेगी, संभव नहीं है। यह जरूरी है कि पुलिस को आधुनिकतम यंत्र एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराए जाएँ। केन्द्र सरकार द्वारा पुलिस आधुनिकीकरण योजना के तहत राज्यों को सहयोग किया जाता रहा है। समय के साथ अब इस योजना के स्वरूप एवं आयाम को और विस्तार देने की जरूरत महसूस की जा रही है, किन्तु इसके विपरीत केन्द्र सरकार की नई नीति के तहत पुलिस आधुनिकीकरण योजना के योजना मद में कटौती कर दी गई है। वर्ष 2000-2001 से 2014-2015 तक केन्द्र सरकार द्वारा बिहार राज्य को औसतन 40 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का अनुदान दिया जाता था, उसके पश्चात् अब करीब 30 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष दिये जा रहे हैं। यह राशि अत्यन्त अपर्याप्त है, जिसे कई गुणा बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस योजना में बिहार के लिए केन्द्रांश और राज्यांश का अनुपात 60ः40 रखा गया है। बिहार जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए यह अनुपात 90ः10 किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त योजना के स्वरूप को वार्षिक योजना के स्थान पर दीर्घकालिक योजना में परिवर्तित किया जाना चाहिए, जिससे राज्य सरकार समेकित रूप में बेहतर पुलिस व्यवस्था के लिए योजनाओं का निर्धारण कर सके। 
  (ग) ''वामपंथी उग्रवाद से निपटने की राष्ट्रीय नीति'' के तहत केन्द्रीय गृह मंत्रालय सुरक्षा संबंधी कार्रवाई के साथ-साथ विकासोन्मुखी कार्यक्रमों का भी अनुश्रवण कर रहा है। इन प्रभावित जिलों के विशेष स्थिति के मद्देनजर अलग से विशेष पहल करने की आवश्यकता है। हमारा सुझाव होगा कि इन क्षेत्रों के लिए चिन्ह्ति योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने और उन्हें समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक पहुँचाने के लिए अतिरिक्त निधि उपलब्ध कराई जाए तथा स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप योजना के क्रियान्वयन की प्रक्रिया एवं मापदंडों में संशोधन करने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जाये। 
  (घ) राष्ट्रीय स्तर पर वामपंथी उग्रवाद को ही केन्द्र में रखते हुए कोई संस्थागत व्यवस्था की जानी चाहिए, जो ऐसी सभी घटनाओं का अभिलेखीकरण एवं विश्लेषण करे तथा प्राप्त सूचनाओं एवं अनुभवों के आधार पर तैयार रणनीति को सभी राज्यों से साझा करे ताकि आगे के कार्रवाईयों को और प्रभावकारी बनाया जा सके। इस संस्थागत व्यवस्था के लिए हमारा ''केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल'' एक उचित विकल्प हो सकता है क्योंकि यह लंबे समय से देश के लगभग सभी उग्रवादी हिंसा प्रभावित राज्यों के अभियान में सम्मिलित रहा है। इसी के अन्तर्गत ऐसी व्यवस्था स्थापित की जाए, जिसका दायित्व स्वयं के कौशलवर्द्धन के साथ-साथ प्रभावित राज्यों के सुरक्षा बलों को भी रणनीति बनाने, उसके क्रियान्वयन एवं अन्य विधाओं में प्रशिक्षित एवं सहयोग करने का हो। 
  (ड.) वामपंथी उग्रवाद के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियानों में आधुनिक तकनीक का ज्यादा-से-ज्यादा प्रयोग आवश्यक है। अत्याधुनिक हथियार, ड्रोन, रोबोटिक यंत्र, संचार माध्यमों पर निगरानी आदि तकनीक न सिर्फ सुरक्षा बलों को सक्षम बनाती है, बल्कि उनकी जान पर संभावित खतरों को भी कम करती है, जिससे सुरक्षा बलों का मनोबल और भी बढ़ता है। इसके साथ-साथ प्रत्येक राज्य में हेलीकाॅप्टर की तैनाती अनिवार्य रूप से की जाए, जो न केवल सुरक्षा बलों की गतिशीलता को बढ़ायेगा बल्कि जरूरत पड़ने पर बचाव में मदद भी करेगा। हम लंबे समय से गृह मंत्रालय से बिहार में हेलीकाॅप्टर तैनाती के लिए अनुरोध करते रहे हैं, परन्तु गृह मंत्रालय द्वारा हमें झारखंड में तैनात हेलीकाॅप्टर से ही आवश्यकता आधारित सहयोग लेने को कहा जाता रहा है। हम चाहेंगे कि गृह मंत्रालय इस पर पुनर्विचार कर बिहार में भी हेलीकाॅप्टर की स्थायी तैनाती करे। 
 (च) हालांकि राज्य सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित एवं दुर्गम क्षेत्रों में कई नये पुलिस थानों का सृजन किया जा रहा है, परन्तु अभी भी प्रभावित क्षेत्रों में केन्द्रीय अद्र्वसैनिक बलों की आवश्यकता है। वर्तमान में बिहार राज्य में 9.5 बटालियन केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों को उपलब्ध कराया गया है जिसमें 90 प्रतिशत बलों की प्रतिनियुक्ति बिहार-झारखंड के सीमावर्ती जिलों में की गयी है। इन बलों के माध्यम से लगातार अभियान चलाया जा रहा है। पूर्ववर्ती माह में 1 बटालियन 04 कम्पनी बिहार से अन्य राज्यों में भेेजी जा चुकी है। जिससे बिहार राज्य में प्रतिनियुक्त बलों की संख्या घट गयी है। साथ ही साथ गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सी.आर.पी.एफ. की दो बटालियन जो अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं, को बिहार से वापस करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। इन बलों के जाने से क्षेत्र में सुरक्षा अंतराल (ेमबनतपजल हंचद्ध बनेंगे जिससे अभियान की गुणवत्ता प्रभावित होगी एवं असुरक्षा का वातावरण बन सकता है तथा उग्रवादियों का प्रभाव पुनः बढ़ सकता है। अतः इन दोनों बटालियनों को बिहार में बने रहने देने की आवश्यकता है।  अतः मै गृह मंत्रालय से अनुरोध करना चाहूँगा कि इन बलों को बिहार में बने रहने दें। 
 (छ) उग्रवादी हिंसा के विरुद्ध अभियान के लिए आवश्यक है कि राज्यों के सुरक्षाबलों को गहन प्रशिक्षण देकर उन्हें प्रभावी रूप से दक्ष बनाया जाए। वर्ष 2010 से राज्य में संचालित तीन ब्वनदजमत प्देनतहमदबल ंदक ।दजप ज्मततवतपेज ैबीववस ;ब्प्।ज्द्ध को केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2015-2016 से निधि आवंटित करना बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से तत्काल इनमें से दो स्कूलों को अगले पाँच वर्षों के लिए पुनः संचालित करने का निर्णय लिया है। एक ओर जहाँ प्रशिक्षण एवं क्षमता संवर्द्धन पर जोर दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर केन्द्र सरकार प्रशिक्षण केन्द्रों को वित्तीय सहायता बंद कर चुकी है। ऐसे विरोधाभास से समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा। मेरा अनुरोध होगा कि केन्द्र सरकार पूर्व की भांति इस योजना के अन्तर्गत निधि आवंटित करे।
  (ज) इस अवसर पर मैं केंद्र सरकार द्वारा अभियान के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय सुरक्षा बल पर होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार के कोष से किए जाने की नीति की तरफ भी ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा। आंतरिक सुरक्षा के लिए वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ यह लड़ाई राज्य और केंद्र सरकार की संयुक्त लड़ाई है, परन्तु इन बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च को उठाने का पूरा जिम्मा राज्य सरकार को दिया जाता है। अतः अनुरोध होगा कि इन खर्चों का वहन केन्द्र और राज्य को संयुक्त रूप से करना चाहिए। यहाँ मैं यह स्पष्ट कर देना चाहूँगा कि बिहार सरकार केंद्रीय बलों से संबंधित गृह मंत्रालय को किए जाने वाले भुगतान के प्रति हमेशा सजग रही है और समय पर भुगतान किया जाता है। 
  (झ) अत्यधिक वामपंथ उग्रवाद प्रभावित जिलों (औरंगाबाद, गया, जमुई एवं लखीसराय) के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता योजना ;ैचमबपंस ब्मदजतंस ।ेेपेजंदबमद्ध के अन्तर्गत सड़क, विद्यालय, पेयजल, सिंचाई, स्वास्थ्य, सामुदायिक भवन, स्टेडियम, रोजगारोमुन्खी कौशल प्रशिक्षण से संबंधित 353 योजनाओं का कार्यान्वयन कराया जा रहा है। केन्द्र से वित्तीय वर्ष 2019-20 में आवंटन प्रतीक्षित है। अनुरोध है कि आवंटन शीघ्र उपलब्ध कराया जाय ताकि कार्य में गति आये।
18. अंत में मैं यह कहना चाहूँगा कि देश के संघीय ढांचे के अन्तर्गत आन्तरिक सुरक्षा के समक्ष चुनौती प्रस्तुत करने वाले वामपंथी उग्रवादी संगठनों पर प्रभावकारी कार्रवाई करने और इनको निष्प्रभावी बनाने का कार्य राज्यों पर डालकर केन्द्र मात्र समीक्षात्मक भूमिका नहीं निभा सकता है। अगर प्रभावकारी कार्रवाई सुनिश्चित करनी है तो केवल राज्यों से बातचीत से नहीं संभव हो सकेगा, केन्द्र को भी सार्थक पहल करनी होगी। पूर्व से क्रियान्वित योजनाएॅं यथा- विशेष संरचना योजना तथा पुलिस आधुनिकीकरण योजना में वित्त पोषण चालू रखते हुए इनके आकार और निधि में वृद्धि करनी होगी। अगर केन्द्र इन योजनाओं को बंद करता है अथवा संसाधनों की कमी करता है तो वामपंथी उग्रवाद पर प्रभावकारी कार्रवाई सुनिश्चित करना संभव नहीं हो सकेगा। उसी तरह से केन्द्रीय सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति पर होने वाले खर्च का पूरा वित्तीय भार राज्यों पर डालना भी युक्तिसंगत नहीं है। राज्य की आवश्यकता का उचित ध्यान नहीं रखने से लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं होगी।
19. उल्लेखनीय है कि जब भी राज्य सरकार द्वारा पूर्व से चल रही केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में पूर्व की भांति वित्त पोषण अथवा अधिक संसाधनों की मांग की जाती है तो केन्द्र सरकार द्वारा यह कहते हुए नकार दिया जाता है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में अब राज्यों को पहले से अधिक राशि दी जा रही है और अब वे अपनी निधि से ही काम चलायें। इस संबंध में हमने लगातार स्थिति स्पष्ट करते हुए आंकड़ों के साथ केन्द्र सरकार को अवगत कराया है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के उपरान्त कर अन्तरण हो या अनुदान, बिहार के संसाधनों में भारी कमी हुई है। वामपंथी उग्रवाद के विरूद्ध लड़ाई केन्द्र एवं राज्य सरकार की संयुक्त लड़ाई है। अतः इसका आर्थिक बोझ भी केन्द्र और राज्यों के बीच बांट कर वहन किया जाना चाहिए।
20.  मुझे अपने विचारों को प्रकट करने का अवसर प्रदान किए जाने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ। केन्द्र और राज्य, दोनों के लिए सहयोग, सकारात्मक एवं भरोसेमन्द कार्यशैली समय की माँग है, ताकि आन्तरिक सुरक्षा के लिए नासूर बन गए वामपंथी उग्रवाद की समस्याओं का सामना करने में हम सक्षम हो सकें।   
 जय हिन्द !