दिल्ली के लोग बड्डीकेशन के दौरान करते हैं सांस्कृतिक समृद्धि की तलाश - आईसीआईसीआई लोम्बार्ड 


नई दिल्ली। दिल्ली के लगभग 70 फीसदी लोग अपने परिवार की बजाय अपने दोस्तों के साथ छुट्टी का आनंद लेना कहीं अधिक पसंद करेंगे वहीं 41 फीसदी उत्तरदाताओं ने 'सफर के लिए सही साथी' के रूप में करीबी दोस्तों और साथ में काम करने वालों को चुना है।  77 फीसदी उत्तरदाता वैकेशंस को यादगार बनाने और दोस्तों के साथ अच्छा वक्त गुजारने का तरीका मानते हैं, वहीं 84 फीसदी लोगों का मानना है कि छुट्टियां दरअसल कला और संस्कृति के बारे में और अधिक जानने का एक जरिया है। हर 5 में से 1 उत्तरदाता ने स्वीकार किया कि उन्होंने किसी साइट / जगह पर जाना इसलिए छोड़ दिया है क्योंकि उनका दोस्त कहीं और जाना चाह रहा था, 51 फीसदी ने कबूल किया कि वैकेशंस के दौरान अक्सर ही उन्हें  अपनी पसंदीदा एक्टिविटी को छोड़ना पड़ता है क्योंकि दोस्त कुछ और करना चाहते हैं।मतभेद हो जाने के मामले में, 57 फीसदी अपने दोस्त की पसंद के पक्ष में समझौता करने के लिए सहमत थे।उक्त बातें आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के अध्यन में उभर कर आयी है। विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर लोंगो के रूझान को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि एक क्लासिक बॉलीवुड फिल्म का मशहूर डायलॉग है, 'दोस्ती की है तो निभानी तो पड़ेगी ही'। यह डायलॉग आपको अतिरंजित लग सकता है लेकिन आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के एक ताजा सर्वेक्षण के नतीजे कहते हैं कि वास्तव में ऐसा ही हो रहा है। वल्र्ड टूरिज्म डे के अवसर पर प्रमुख निजी गैर-जीवन बीमाकर्ता ने हाल में की गई अपनी एक स्टडी में कहा है कि भारतीय अपने दोस्तों के साथ (उर्फ 'बड्डीकेशन' के साथ) छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं और दोस्तों के ग्रुप के अनुसार चलते हुए अपनी निजी इच्छाओं का बलिदान भी करना पड़े तो खुशी-खुशी करते हैं! 
स्टडी से पता चला है कि दिल्ली के 70 फीसदी लोग वैकेशंस मनाने के लिए अपने परिवार से ज्यादा दोस्तों को तरजीह देते हैं। इसके अलावा, इस स्टडी से यह भी पता चलता है कि 41 फीसदी उत्तरदाताओं ने 'आदर्श यात्रा साथी' के रूप में करीबी दोस्तों और काम के सहयोगियों को चुना।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि दिल्लीवासी बड्डीकेशन के दौरान सांस्कृतिक समृद्धि की तलाश में रहते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, प्रत्येक 5 डेल्हीट्स में लगभग 4 एक नए कला रूप के बारे में जानने या विभिन्न  संस्कृतियों (84 फीसदी) का पता लगाने के अवसर के रूप में बड्डीकेशन को देखते हैं। 77 फीसदी उत्तरदाताओं के साथ दूसरा उद्देश्य दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना और मौके को यादगार बनाना था।
भारत की आम आबादी के यात्रा पैटर्न में भी बदलाव दर्ज किए गए हैं। भारतीय नए स्थानों और अनुभवों को एक्सप्लोर करने के लिए अपने परिवारों की बजाय बड्डी यानी मित्रों के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। यह भारत में एक व्यापक होती प्रवृत्ति का प्रतिबिंब है जहां युवा लोग परिवार की छुट्टी पर 'बड्डीकेशन' चुन रहे हैं। स्काईस्कैनर इंडिया के अनुसार, 24 फीसदी सहस्राब्दी पीढ़ी के ट्रैवलर अपने दोस्तों के साथ यात्रा करना पसंद करते हैं, जबकि अपने परिवार के साथ यात्रा करने वालों का हिस्सा तुलनात्मक रूप से 17 फीसदी है।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, 76 फीसदी दिल्लीवासी अपनी पसंद से चिपके रहने को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन 24 फीसदी ने अपने दोस्तों की पसंद को वरीयता दी, बात जब साइटों और स्थानों पर जाने की योजना बनाने की थी। उत्तरदाता अपने पसंदीदा स्थान को छोड़ने और वहां जाने के लिए सहमत थे, जहां उनके दोस्त जाना चाहते हैं। हालांकि, आधे से अधिक दिल्लीवासियों ने खुशी-खुशी अपनी चुनी हुई गतिविधि को जाने दिया क्योंकि उनके दोस्त कहीं और (51 फीसदी) आना चाहते थे।
इस सर्वेक्षण के नतीजों की चर्चा करते हुए आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर  संजीव मंत्री ने कहा, 'आईसीआईसीआई लोम्बार्ड में, हमारी ब्रांड प्रतिबद्धता सभी वादे निभाने के बारे में है और वास्तव में यही सच्ची दोस्ती का आधार भी है। दोस्तों के साथ संबंधों को तरोताजा करने, एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेने और समूह के फैसले की खुशी को महसूस करने के लिए 'बड्डीकेशन' वाली वैकेशंस तेजी से बढ़ रही हैं। अपनी नहीं, सबकी खुशी के बारे में सोचना यही आधुनिक 'बड्डीकेशन' का सार है।'
स्टडी निर्णय लेने पर दोस्ती के भारी पड़ने के उदाहरण भी पेश करता है। जैसे भारत भर से 4 में से लगभग 1 उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने एक साइट / स्थान को छोड़ दिया है क्योंकि उनके दोस्त कहीं और जाना चाहते थे; इस तरह के निर्णय अक्सर अनिश्चितता तौर पर सामने आते हैं। हमारे सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि उत्तरदाताओं को अलग-अलग स्थितियों में पड़ने और रोमांच का सामना करने की इच्छा होती है, लेकिन अगर दोस्त न हो तो शायद ही वे इसके लिए तैयार हों। केवल 22 फीसदी दिल्लीवासियों ने स्वीकार किया कि वे अपनी छुट्टी पर जाने से पहले यात्रा बीमा खरीदना सुनिश्चित करेंगे, जबकि 29 फीसदी ने कहा कि वे ऐसे दोस्तों को साथ ले जाना या उनसे बात करके जाना पसंद करेंगे, जिन्होंने उस गंतव्य की यात्रा पहले से कर रखी हो।
संजीव मंत्री आगे कहते हैं, 'एक ब्रांड के रूप में, हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब व्यक्ति अपने दोस्तों के साथ यात्रा कर रहे हो तो उनका ध्यान सिर्फ उनकी प्राथमिकताओं पर रहे और यात्रा का लुत्फ उठाएं। हालांकि, यह बहुत जरूरी है कि वे अपनी यात्रा को एक व्यापक यात्रा बीमा पॉलिसी के साथ सुरक्षित करें। अब यह विलासिता नहीं बल्कि एक जरूरत है।
जब आप अलग-अलग लोगों की पसंद-नापसंद के साथ चलते हैं तो किसी भी एक मत पर आकर टिकना मुश्किल हो जाता है, चाहे वह यात्रा गंतव्य हो या व्यंजन या अपनी पसंद की कोई गतिविधि, कुछ भी झगड़े या मतभेद का कारण बन सकता है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों ने इस मिथक का भंडाफोड़ किया और पुष्टि की है कि उत्तरदाता अपने मित्रों को समायोजित करने के लिए अपनी पसंद और वरीयताओं को खुशी से छोड़ देंगे। 51 फीसदी ने स्वीकार किया कि उन्होंने हमेशा अपने पसंदीदा गतिविधि को अपने दोस्त की पसंद के पक्ष में छोड़ देंगे। इसके अलावा, उत्तरदाताओं के 35 फीसदी ने कहा कि वे समझौता करेंगे और निर्णय लेने के लिए बदलाव करना पसंद करेंगे। यहां तक कि मतभेद के मामले में भी 57 फीसदी अपने दोस्त की पसंद के पक्ष में समझौता करने के लिए सहमत हुए जबकि 57 फीसदी ने स्वीकार किया कि वे दोस्त की ओर से हुई देरी को भी माफ करेंगे, भले ही कार्यक्रम बिगड़ जाए लेकिन दोस्त को साथ लेकर ही जाएंगे।
सर्वेक्षण ने यात्रियों की घुमक्कड़ी के बारे में कुछ गहरी अंतर्दृष्टि भी प्रदान की है, जिनसे यात्रियों के सेवा प्रदाता सीख सकते हैं। सर्वेक्षण ने यात्रियों की अब तक अज्ञात कुछ आदतों और व्यवहारों को डिकोड किया। दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद, चेन्नई और मुंबई के लगभग 1555 उत्तरदाताओं का साक्षात्कार लिया गया था जिनमें दिल्ली के 352 लोग शामिल किए गए थे। 'बड्डीकेशन' के दौरान उनकी भूमिका को लेकर कुछ हल्के-फुल्के निष्कर्ष भी निकाले गए जिनमें फूडी एंड पीसमेकर- चेन्नई के उत्तरदाताओं से मिली प्रतिक्रियाएं या तो उन्हें गैंग का सबसे बड़े फूडी (30 फीसदी) या गु्रप का मुख्य डिप्लोमेट (29 फीसदी) बनाती है, जिसकी भूमिका ग्रुप में शांति बनाए रखने की होती है।
तो एडवेंचरर और कल्चर वल्चर्स - दूसरी ओर, हैदराबाद के स्थानीय लोग जबरदस्त एडवेंचर के दीवाने (29 फीसदी) या संस्कृति के शौकीन (25 फीसदी) के रूप में सामने आए, जिनमें सफर के दौरान सामने आने वाली हर जगह या वस्तु के इतिहास और संस्कृति को जानने की उत्सुकता सबसे अधिक थी।
गिफ्टिंग  स्पेशलिस्ट- अहमदाबाद के निवासियों में अन्य शहरों के उत्तरदाताओं की तुलना में अपने परिवार के लिए उपहार खरीदने का रूझान अधिक दिखा। 17 फीसदी लोग पीछे छूट गए अपने परिजनों में से हर किसी के लिए स्मृति चिन्ह और उपहार खरीदते हैं।
 इंस्टापीपल- सोशल (मीडिया) के शौकीनों का ताज दिल्लीवालों (14 फीसदी) के हाथ गया जो घूमने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना नहीं भूलते कि सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उनकी गतिविधियां हाथोंहाथ अपलोड भी होती रहे।
 चीफ हैगलर्स - यदि खरीदारी एक प्रमुख गतिविधि है जिसे आप छुट्टी के दौरान करना चाहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके पास दिल्ली या अहमदाबाद से एक दोस्त जरूर हो जो आपके लिए बार्गेनिंग करते हुए यह सुनिश्चित करेगा कि आप सबसे अच्छी कीमत पर सामान खरीदें। 14 फीसदी दिल्लीवालों और अहमदाबादियों ने इस बात पर सहमति जताई कि वे चीफ हैगलर्स के रूप में बहुत अच्छे हैं।