एनसीआरटीसी तथा आईएलबीएस ने हेपेटाइटिस की जागरूकता और उन्मूलन के लिए संकल्प लिया

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के सहयोग से इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाईलरी साइंसेज (आईएलबीएस) ने एनसीआरटीसी के कॉर्पोरेट कार्यालय में 'आई-प्लेज...(माई सपोर्ट)' अभियान का आयोजन किया। एनसीआरटीसी के सभी कर्मचारियों ने इस अभियान का लाभ उठाया। यह गतिविधि आईएलबीएस के 'इम्पावरिंग पीपल अगेन्स्ट हेपेटाइटिस: द इम्पैथी' अभियान का एक हिस्सा था जो एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा समर्थित है। इसका उद्देश्य हेपेटाइटिस बी और सी के खतरे के प्रति भारत में जागरूकता फैलाना है।


हेपेटाइटिस के विभिन्न पहलुओं पर लोगों को जागरूक और शिक्षित करने के लिए एक चर्चा का आयोजन किया गया। इसके बाद हेपेटाइटिस बी और सी की जाँच और टीकाकरण के लिए एक मुफ्त स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर आईएलबीएस में एपिडेमोलोजी और पीआई (प्रेजेक्ट इम्पैथी) विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. नीरज रायजादा और एनसीआरटीसी के उच्च अधिकारी उपस्थित थे।


डॉ. नीरज रायजादा ने अपने संबोधन में हेपेटाइटिस बी और सी के लिए स्क्रीनिंग के महत्व को समझाया। उन्होंने हेपेटाइटिस बी के लिए टीकाकरण पर जोर देते हुए लोगों को टेस्ट और टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया।


उन्होंने कहा, “इस संक्रामक बीमारी के खतरे के बारे में बहुत से लोग अभी भी अनजान हैं, हेपेटाइटिस के प्रति जागरूकता के लिए काम करने की तत्काल आवश्यकता है। हमें इस महामारी को समाप्त करने के लिए इस मुद्दे पर बातचीत को बढ़ाने और जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। लोगों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वो समय रहते संक्रमण को लेकर तत्पर हो जाएँ और जाँच कराएं। हमारे पास कम कीमत और उच्च गुणवत्ता के टीके उपलब्ध हैं जो इन संक्रमणों को रोकने में सक्षम हैं। सामुदायिक संवाद और उचित कार्य-योजना आज के समय की मांग है।"


हेपेटाइटिस बी और सी की समस्या को दूर करने के लिए आईएलबीएस ने 'इम्पावरिंग पीपल अगेन्स्ट हेपेटाइटिस: द इम्पैथी' नाम से एक व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है। इसकी संकल्पना  आईएलबीएस के निदेशक और पद्म-भूषण से सम्मानित डॉ शिव कुमार सरीन ने तैयार की है।    इसे एएआई की कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी के समर्थन से चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य हेपेटाइटिस बी और सी के प्रति भारत में विभिन्न माध्यमों से जागरूकता फैलाना और स्वास्थ्यवर्धक व्यवहार को बढ़ावा देना है।


'आई प्लेज… (माई सपोर्ट) पहल इस अभियान का हिस्सा है| यह सार्वजनिक और निजी सहित बड़े कॉर्पोरेट कार्यालयों में जागरूकता फैलाने पर ध्यान केंद्रित करता है, और संगठन के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाता है| उन्हें कार्यक्रम के प्रसार में अपना समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित करता है और वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता, और इसकी रोकथाम और प्रारंभिक प्रबंधन में योगदान करता है।


सभी कर्मचारियों ने इस अभियान के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। आईएलबीएस की टीम ने कर्मचारियों के लिए मुफ्त स्क्रीनिंग के साथ टीकाकरण की भी व्यवस्था की थी। उन्हें हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया गया और स्वैच्छिक आधार पर हेपेटाइटिस बी और सी की जांच की गई।


लगभग 60 मिलियन भारतीय हेपेटाइटिस बी और सी वायरस के संक्रमण से पीड़ित हैं जो लिवर सिरोसिस और कैंसर के लिए जिम्मेदार हैं। संक्रमण से पीड़ित अधिकांश लोग अपनी स्थिति से अनजान होते हैं। राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत वर्तमान में सरकार द्वारा कई पहल की जा रही है जिसके अंतर्गत पीड़ित और खतरे के करीब वाले लोगों के लिए जाँच, टीका और उपचार की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन इस संक्रमण से जुड़े पूर्वाग्रह, भेदभाव पीड़ितों की देखभाल की समस्या, चिकित्सकों के निर्देशों के अनुपालन और उन्हें मुख्यधारा में लाने की राह में एक बड़ी बाधा बनकर खड़े हैं जो संक्रमित लोगों को सामाजिक तिरस्कार के डर से इलाज़ के लिए जाने से रोकते हैं।


इस कार्यक्रम में एनसीआरटीसी में ''एंडिंग द हेपेटाइटिस बी एंड सी एपिडेमिक'' अभियान के लिए लोगों की एक श्रृंखला तैयार हुई। जो बातचीत के माध्यम से इस संक्रमण का प्रचार-प्रसार करेंगे और जाँच तथा उपचार के लिए लोगों को प्रोत्साहित करेंगे। इसके साथ ही प्रभावित लोगों के प्रति समाजिक भेदभाव को भी दूर करने में अपना योगदान देंगे।