मौलिक भारत ने नोएडा स्थित प्राधिकरणों के घोटालों की जांच उच्चतम न्यायालय की निगरानी में कराने की माँग की







नोएडा । एक गैर सरकारी संस्था *मौलिक भारत* ने नोएडा के अग्रसेन भवन में आयोजित प्रेसवार्ता में उन दो प्रतिवेदनों को मीडिया को जारी किया जो संस्था ने नोयडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों में पिछले दो दशकों से चल रही लूट के खेल को विस्तार से उजागर करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लंबे मांगपत्र के साथ भेजे हैं। 300 से भी अधिक पृष्ठों के दस्तावेज सहित इस प्रतिवेदन की प्रतियां प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय, शहरी विकास मंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी भेजी गयीं है। बेहद विस्तृत व सनसनीखेज इस प्रतिवेदन पर संस्था की ओर से महासचिव अनुज अग्रवाल व केंद्रीय कार्यकारणी के वरिष्ठ सदस्यों , अनिल गर्ग, पंकज सरागवी व नीरज सक्सेना ने हस्ताक्षर किए। इन सभी ने प्रेसवार्ता में प्रतिवेदन के प्रमुख बिंदुओं के बारे में विस्तार से मीडिया को बताया। संस्था का आरोप है कि सन 2010 से ही इन प्राधिकरणों के घोटाले उजागर होने के बाद भी पिछले एक दशक में दर्जनों विभिन्न प्रकार की जांच व कार्यवाही के नाटकों के बाद भी घोटाले की मूल वजहों को दुरस्त करने व मुख्य किरदारों के खिलाफ कार्यवाही करने के कोई प्रयास नहीं किए गए।

 

लोकायुक्त, सीबीआई, सीएजी, ईडी व उच्च व उच्चतम न्यायालयों व प्रदेश सरकार की जांच व कार्यवाही के बाद भी न घोटाले रुके न निवेशकों को इंसाफ मिला और न ही व्यवस्थाएं दुरुस्त व पारदर्शी हो पाई। ऐसे में संस्था ने दर्जनों मांग की है जो अलग अलग पहलू को दुरुस्त करने से संबंधित हैं।  जिनमे प्रमुख निम्न प्रकार हैं

 

1. दो दशकों के सभी घोटाले व आरोपो की समयबद्ध रूप से विस्तृत जांच हो व इसके लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल बने। इस जांच दल को पिछले दो दशकों में सरकार , संवैधानिक संस्थाओं व जांच दलों को मिले सभी दस्तावेज व जांच परिणाम भी सौपे जाएं।

 

2. पूरे घोटालों में राजनेताओं व नोकरशाहो की जबाबदेही भी तय की जाए व दोषी को उचित व कठोर दंड दिया जाय।

 

3. आम्रपाली मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुनर्विचार हो व निवेशकों की जगह राज्य सरकार को धन उपलब्ध करवाकर प्रोजेक्ट्स पूरे करने के निर्देश जारी हो। संस्था भी इसके लिए उच्चतम न्यायालय में अपील करने जा रही है।

 

4. प्राथमिकता के आधार पर तीनो प्राधिकरणों के सभी पूरे हो चुके व निर्माणाधीन  प्रोजेक्ट्स में आर्थिक रूप से गरीब वर्ग के लिए 25 प्रतिशत मकान बनाए जाएं।

 

संस्था ने आशा जताई कि महामहिम राष्ट्रपति  इस मामले को संज्ञान लेते हुए अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए जनहित में बड़ा निर्णय लेंगे ।