पुस्तक *खिलौनों का सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक अध्ययन* को हजारी प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार





लखनऊ । वर्ष 2018 के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा घोषित पुरस्कारों की श्रेणी में संस्कृति विधा का ' हजारी प्रसाद द्विवेदी' पुरस्कार प्रताप नारायण शुक्ल द्वारा लिखित  पुस्तक ' खिलौनों का सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक अध्ययन ' को प्रदान किया गया। प्रताप नारायण शुक्ल बस्ती जनपद के ग्राम हरेवा शुक्ल के मूल निवासी हैं और श्री बाल्मीकि इंटर कालेज विक्रमजोत में लगभग 45 वर्षो तक शिक्षण कार्य किया है। विगत तीन दशकों से वे फैज़ाबाद में रह रहे हैं। साहित्यिक और सांस्कृतिक अभिरुचियों के कारण इन्हें  विद्यालय में सांस्कृतिक विभाग के अध्यक्ष का दायित्व दिया गया जिसके अंतर्गत सांस्कृतिक कार्यक्रमों के कुशल संचालन के साथ विद्यालयी पत्रिका का संपादन भी करते रहे। लगभग चार दशकों से विभिन्न आकाशवाणी केन्दों द्वारा इनकी वार्ताओं का प्रसारण होता रहता है।

सेवा निवृत्ति के पश्चात श्री शुक्ल समाज सेवा में व्यस्त हो गए जिसके अन्तर्गत ' असर फाउंडेशन ' की स्थापना करके अनेक समाज हित के कार्य किये और अपने गाँव मे अपने पिताजी के नाम पर एक पुस्तकालय की स्थापना की जहाँ निर्धन व असहाय बच्चों की हर संभव सहायता की जाती है। इनके प्रत्येक कार्य में इनकी पत्नी ऊषा किरन शुक्ला जो स्वयं एक प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं और लोकसंस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है सदैव सहयोग के लिए तत्पर रहती हैं। परम्पराओ में अभिरुचि होने के कारण  उन्होंने इस विधा को चुना और इस पुस्तक में खिलौनों के सामाजिक महत्व, उसकी उपादेयता और उनका बहुत अच्छा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है।