प्यार से नहीं प्याज से डर लगता है




                                               व्यंग

(देवानंद राय)

अभी शर्ट चढ़ाते घर से बाहर निकल ही रहे थे कि प्रेमिका से पत्नी बनी श्रीमती जी ने आवाज दी अरे सुनते हो बाजार से सब्जी लेते आना मैंने कहा जय हो माता ! श्रीमती को इतनी मति तो दी कि सब्जी ही लाने को कहा प्याज लाने को नहीं| मार्केट में आया तो चाहुँओर प्याज के ही चर्चे थे प्याज तो इन दिनों सोशल मीडिया पर भी ट्रेडिंग कर रहा है।वह तो इन दिनों हॉट टॉपिक बन चुका है। इतने दिनों से सुस्त पड़े प्याज ने थोड़ी करवट क्या ली मार्केट में खलबली मच गई बजट में तो समझो आज ही लग गई है।बाजार में एक भाई साब मिले कहे भाई धंधा घड़ा मंदा चल्या मैंने कहा दुकान के आगे बोर्ड लगा दो तीन साड़ी पर एक किलो प्याज फ्री। घड़ा मंदा के जगह अगले दिन भाया घड़ी भर टेम नहीं कहते मिलेगा।खैर हम सब्जी मार्केट में घुस चुके थे चारों और प्याज मुझे देख मानो मुंह चढ़ा रहे थे हमने थैला भर सब्जी लिया पर थैला अभी भी खाली-खाली सा लग रहा था| प्याज मुझे देखकर हर बार नए ढंग से इतरा रहा था और प्याज खरीदने वाला उससे ज्यादा। सब्जी वाला बोला प्याज तो अब सबके बस में नहीं हमने भी कहा बिल्कुल हमारे बस में तो कहीं भी नहीं। फिर भी प्याज खरीदने को मेरा दिल हो रहा था बेकाबू,देख मेरा हाल प्याज भी मानो ये कह रहा दो प्याज की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू ? खैर हमने बेकरार दिल को मनाया दिया करार उसे प्याज खरीदने का निर्णय लेकर खैर हमने बजट गड़बड़ होने के ध्यान-ज्ञान को अलग रखकर प्याज खरीद ही लिया| अब थैला भरा-भरा सा लग रहा था और सीना भी चौड़ा जैसा लगे जंग जीत ली हो अभी मंडी से बाहर ही निकल रहा था कि मंडी में आवाज तेज हो गई सब्जी वाला कह रहा था यह किसका प्याज छूट गया है ? कौन अपना प्याज भूल गया है ? भाई साहब पूरी मंडी उस प्याज को अपना साबित करने में लग गई। देखकर यह दृश्य सब्जी वाले ने भी प्याज की थैली खुद ही समेट लई। इधर हम मंडी से बाहर निकले घर की ओर चले कि रास्ते में शर्मा जी बोले देखते ही बोले अरे कविवर इतनी प्याज कहाँँ से लूट लाए ? हम तो हक्का-बक्का रह गए हमने कहा शर्मा जी लूट लाए ! हम ने खरीदी है शर्मा जी बोले कविवर इतना प्याज मत खरीदे सीबीआई और इनकम टैक्स दोनों पीछे लग जाएंगे।रास्ते में इलाहाबाद में तैयारी कर रहे चौरसिया जी दिखे कुछ बुदबुदाते जा रहे थे सभी प्याज है सेब.... हमने कहा क्या चल रहा है चौरसिया ? चौरसिया भक्क् से बोल पड़े सभी प्याज सेब है, कुछ सेब प्याज है, और सभी प्याज पेट्रोल है। हमने कहा ई का है ! चौरसिया जी बोले बुद्धिमत्ता और तर्कशक्ति का सवाल है पास से गुजरते पांडे जी बोले ससुर सीधे-सीधे बोलो ना महंगाई का बहुत बवाल है| घर पहुंचे तो श्रीमती जी ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला और थैले में सबसे ऊपर देख प्याज तमतमाता हुआ उनका चेहरा बोला अरे आपको न खरीदने ही नहीं आता। हमने कहा क्या कह रही हो भाग्यवान ? दिल्ली से लेकर आया प्याज मेरी जान ! क्या दिल्ली में प्याज फ्री में बट रही है ? पहले क्यों नहीं बताया मैं तो झोले के जगह बोरा थमा देती श्रीमती के धाराप्रवाह ज्ञान को मैं भी प्रवाह में सुन रहा था। मैंने कहा प्रिय दिल्ली में फ्री में नहीं बँट रही  सस्ता मिल रहा है सो ले लिया। अच्छा अब मुझे बहलाने की कोशिश ना करो, पता है तुम्हें खरीदारी करना नहीं आता। अभी वह कह रही थी कि मुझे बाजार का वह दृश्य याद आ गया जब मैं सीना चौड़ा कर दो किलो प्याज देना कह रहा था पास खड़े अंकल आंटी फुसफुसाये जा रहे थे लड़का ठीक रहेगा अपनी लड़की के लिए और इधर घर पर श्रीमती जी हमारा बैंड बजाये जा रही थी हमें खरीदारी करना नहीं आता श्रीमती जी अभी चुप कहाँँ हुई ? बोली जब मैं लहसुन जीरे से काम चला रही हूँ बिना प्याज तड़का लगा रही हूँँ फिर जरूरत क्या है प्याज लाने की ? हमने कहा शायद प्याज से तड़का और लगेगा तुम्हारा प्यार और बढ़ेगा। श्रीमती जी ने कहा बढ़ाऊँ तुम्हारा प्यार, नहीं मानोगे बात तो नहीं रखने दूंगी चौखट पर लात।हमने कहा गलती हो गई मोहतरमा, पहलेेेे बजट,फिर प्यार !  श्रीमती जी मुस्कुरायी पलट कर चाय लाई। तब से भैया इन दिनों प्यार से नहीं प्याज से डर लगता है।