*आजकल औरते*






*आजकल औरते*

 

आजकल अधिकतर औरते

सुबह नींद खुलने के बाद

कल्चर से कटे छोटे बालो का

जुड़ा सा बांधती है,

मोबाइल हाथ मे लेते ही,

मुस्करा उठती है,

बन्द नेंट के चालू होते ही,

मेसेजो की मधुर ध्वनि में,

खो जाती है,

हँस पड़ती है अकेली ही,

फिर चेट करने लगती है,

आसपास की दुनिया को ,

भूल जाती है,

तलाश लेती है अनाम रिश्तों में,

कुछ स्वप्न,कुछ भ्रम,कुछ प्रेम,

गीले बाथरूम की गंध को,

जली कटी बातो से नही चिढ़ती,

खुद की शादी के समय,

दुसरो की मर्जी के आगे,

सिर झुकाया था,

लेकिन ये तो ,

पसंद नापसंद पूछता है

नही पसंद हो तो ब्लॉक कर दो,

पूछता है वो औरतों की पसंद,

ये अनाम रिश्ते कुबूल तो है ?

खुश रहती है औरते,

अपनी इस आभासी दुनिया मे !

 


               इन्दु सिन्हा  ' इन्दु '

               रतलाम ( मध्य प्रदेश )