अंतर मन की ज्योति जलाएं

                              अंतर मन की ज्योति जलाएं


 



आओ साथी आज प्रेम से
हिलमिल अक्षय दीप जलाएं
दिवाली मनाएं।
देश प्रेम की मधुमय वाणी


जन जन तक पहुचाएं।
लक्ष्मी पूजा में दीप नये
अनगिनत मिल जलाएं।
जन जन का दुख दरिद्र मिटाएं
वैमनस्य का रावण कंस 
हम मिल मार भगाएं।
सीता दौपदी की राम कृष्ण बन
लाज हम बचाएं।
बेटे बेटी को साक्षर कर क्रांति
की मशाल हम सब जलाएं।
सदज्ञान भरा इंसा के मन में
दीप ज्ञान का जलाएं।
भारती दीपक के अंतर मन की
सुंदर ज्योति फैलाएं।



मंगल व्यास भारती


गढ़ की मोरी पास चूरू