"बेटी"
बेटी श्री रूपा संस्कृति की,
बेटी संसृति शक्ति सनातन।
हर पर्याय शब्द बेटी का,
जन-जन करो तुम आराधन ।।
बेटी स्नेह कीराग-रागनी,
स रे ग म जिसके हैं स्वर ।
कोख में मारी जाएंकभी नहिं,
प्यार दुलार चुंबन हों अक्षर।।
बेटी जग की भाव-भारती ,
दीप्ति ,रीत,नीति की कविता ।
देवी की छवियों में दमके
प्रथाओं परंपरा की आराधन।।
रंजना सिन्हा सैराहा
(सेवानिवृत्त प्राचार्या)
सम्प्रति--आस्टिन, टेक्सास, अमरीका