शास्त्री जी को जाने और गांधीजी को माने




( देवानंद राय)

2 अक्टूबर भारत के दो महान विभूतियों राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी तथा पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन है। पूरा देश  इन दो महान व्यक्तित्व को आज शत-शत नमन कर रहा है गांधी जी और शास्त्री जी को अब किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है आवश्यकता वर्तमान में सिर्फ उनके विचारों को आत्मसात करने की है गांधीजी के बारे में महान वैज्ञानिक आइंस्टीन कहा करते थे कि आने वाली पीढ़ियां शायद ही विश्वास करें कि हाड़- मांंस का बना कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता फिरता था आज डेढ़ सौ साल बाद भी गांधी के जितने समर्थक हैं उतने ही विरोधी पर दोनों अंततः गांधी जी के विचारों और उनके दो अस्त्र सत्य और अहिंसा के आगे नतमस्तक हो ही जाते हैं दूसरे महान विभूति हैं लाल बहादुर शास्त्री जी जिन्होंने पूरे देश को सिखलाया की देश की रक्षा करना सिर्फ सैनिक का काम नहीं है आम लोगों का भी होता है शास्त्री जी को भारतवासी कितना प्यार करते थे इसका अंदाजा है से लगाया जा सकता है कि 1965 के युद्ध के बाद देश की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण देश में राशन की कमी पड़ने पर उन्होंने देश से एक वक्त उपवास की बात कही थी पूरा देश उनके इस आदेश को सर आंखों पर ले लिया था। नदी तैरकर विद्यालय जाने वाले और विषम परिस्थितियों में अटल रहकर सर्वोच्चता के शिखर पर पहुंचने वाले व्यक्तित्व का दूसरा नाम है लाल बहादुर शास्त्री। आज हम जिस महान व्यक्ति का जन्मदिन मना रहे हैं तो हमें उनके जन्मदिन पर उनकी इच्छा भी जानी चाहिए।बापू कहते थे अगर आप मेरा सच में मेरा जन्मदिन मनाना चाहते हैं तो एक दूसरे के प्रति नफरत को खत्म कर दें क्या उच्च विचार थे बापू के यह मानव का मानवता के प्रति सबसे उत्कृष्ट विचारों में से एक है जहां उसमें एक आदमी की भावना उत्पन्न हो जाती है आज हम भले ही पूरी दुनिया को ग्लोबल विलेज में बदलते देख रहे हैं पर बापू के सुविचार  बहुत पहले ही ग्लोबल विलेज के विचार का बीजारोपण लोगों में कर चुके थे गांधी द लास्ट 200 डेज पुस्तक के लेखक वी राममूर्ति जी लिखते हैं कि गांधीजी आजादी के बाद बदलते भारत और बिगड़ते हालात को देखकर इस कदर आहत हुए थे कि वे अपने जन्मदिन पर शाम की प्रार्थना में दुखी मन और भरे गले से कहने लगे कि वह अब और नहीं जीना चाहते यह वह व्यक्ति कह रहा था जिसने अपनी पूरी जिंदगी देश को बनाने और अंग्रेजों को भगाने में लगा दी यह उस व्यक्ति के शब्द थे जो सवा सौ साल जीना चाहता था क्या हम आज बापू के उस बात को याद कर उसे अपने जीवन में अमल करें तो हमारी बापू के प्रति सच्ची जन्मदिन की शुभकामना होगी 1947 में मिली आजादी के बाद गांधीजी यह सोचकर नहीं रुकेगी अब देश आजाद हो गया अब चैन की सांस ले पर कर्म योगी बाबू को यह कहां पसंद आजादी के कुछ समय बाद बापू ने अपने सबसे प्रिय सपनों में से एक ग्राम स्वराज का सपना पूरा करने की ओर चल पड़े ग्राम स्वराज्य में अट्ठारह रचनात्मक कामों की एक लिस्ट होती थी जिसके द्वारा बापू आजादी का महत्व दिल्ली से सुदूर बसे गांव में रह रहे हरिया और जुम्मन दोनों को बताना चाहते थे।अब हमें स्वराज को सुराज में बदलने का संकल्प करना चाहिए दूसरे महान विभूति लाल बहादुर शास्त्री जी जो बहुत सादा जीवन जीते थे उन्होंने कभी भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया अपने अधीनस्थ या रिश्तेदार छोड़िए अपने परिवार के लोगों को भी इस रुपए का दुरुपयोग करने से रोकते थे।एक बार हुआ यूं कि उनके पुत्र रात में सरकारी गाड़ी लेकर कहीं चले गए शास्त्री जी तब प्रधानमंत्री पद पर थे देर रात जब उनके पुत्र वापस आए तो शास्त्री जी ने पूछा क्या सेकंड शो देखने गए थे ? पुत्र ने डरते-सहमते जवाब दिया हम लोग ड्राइव पर निकल गए थे|शास्त्री जी ने कहा फिर सरकारी गाड़ी ले जाने की क्या जरूरत थी ? घर की फिएट कार ले जाते,निजी काम के लिए सरकारी गाड़ी ना ले जाया करो घर वाली कार ले जाया करो उन्होंने कहा अगली सुबह उन्होंने ड्राइवर को बुलाया और कहा रात को कार कितने किलोमीटर चली थी ड्राइवर ने कहा 34 किलोमीटर | शास्त्री जी ने जेब से रुपए निकाले और कहा कि जो खर्च आया हो उसका पता लगाकर परिवहन विभाग में जमा कर देना ड्राइवर देखकर आश्चर्यचकित रह गया शास्त्री जी के जीवन की कहानी वर्तमान समय के राजनेताओं के लिए सिर्फ एक कहानी बनकर न रह जाए जो सार्वजनिक धन को अपने पुश्तैनी दौलत मान लेते हैं हमारी भारतीय राजनीति में शास्त्री जी जैसे महान व्यक्तित्व हुई जिन्होंने सादा जीवन उच्च विचार को महत्व दिया तो वहीं दूसरी और आज की राजनीति में लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वेतन भत्ते बढ़ते ही जा रहे हैं क्यों नहीं गांधी शास्त्री जयंती पर सभी नेता यह संकल्प वेतन के अलावा कोई अन्यथा नहीं लेंगे आज जब हर सेक्टर में प्रोफेशनलिज्म की बात हो रही है तो प्राइवेट कर्मचारियों के वेतन सीटीसी कास्ट कंपनी की तरह नेताओं का भी सीटीसी तय हो आज पूरी दुनिया में बेरोजगारी और पर्यावरण की समस्या से ग्रस्त है इस पर गांधी जी का प्रसिद्ध वाक्य था कि इस धरती पर हर व्यक्ति की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए भरपूर संसाधन है पर किसी एक व्यक्ति के लालच को पूरा करने की क्षमता नहीं है पर आज हम अपने भोग वादी सोच और शोषण पर आधारित विकास के माडल द्वारा व्यक्ति ही नहीं प्रकृत का भी जमकर शोषण कर रहे हैं गांधीजी पश्चिमी देशों के विकास मॉडल को अंधी पागल दौड़ बताते थे वह कहते थे यह विकासवादी मॉडल हमें विनाश की ओर ले जाता है अगर हमें बिना से बचना है तो विकास की दशा बदलनी होगी आज लगभग हर कारखाने में रोबोट और नई तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रचलन चल पड़ा है जिससे निश्चित तौर पर आने वाले समय में जनसंख्या विस्फोट के साथ बेरोजगारी विस्फोट भी होना है ऐसा नहीं है कि गांधीजी तकनीक के खिलाफ थे पर मानव को बेकार बनाने वाली तकलीफ के वे धूर विरोधी थे गांधी जी ने स्वराज के आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी पर स्वराज के आंदोलन बल दिया इतिहास बताता है कि ढेर सारा के नमक सत्याग्रह में उन्होंने सरोजिनी नायडू को उस सत्याग्रह की कमान सौंपी थी गांधी जी का मानना था कि महिलाएं संरक्षित आ नहीं होनी चाहिए उन्हें तो स्वच्छता बनना चाहिए बेशक हम दुनिया में एक बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभरे हैं हमारे देश में कुछ लोग अब फोन की रेट लिस्ट में भी आने लगे हैं पर जिस तरह इंडिया में अमीरी बढ़ रही है ठीक वैसे ही भारत में गरीबी और बेरोजगारी बढ़ रही है और यही गांधी के सपनों का भारत दम तोड़ता नजर आता है गांधीजी जिस विकेंद्रीकृत राजनीति और समतावादी अर्थव्यवस्था की बात करते थे उसे पाने में हमें लगता है अभी लंबा सफर तय करना है जो लोग कहते हैं गांधीवादी विचारधारा का मजाक उड़ाते हैं और कहते हैं वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता नहीं रही वह शायद नहीं जानते गांधी जी और उनके विचार कभी मरे ही नहीं और ना ही मरेंगे उनके विचार और दर्शन विश्व के हर कोने में पहुंच चुके हैं विश्व महाशक्ति अमेरिका में भारत के बाद सबसे ज्यादा गांधी जी की मूर्तियां हैं गांधीजी के विचार आज भी हर विषय पर लोगों को एक नई राह दिखाते हैं गांधी विचारधारा मुख्यतः अहिंसा और सत्याग्रह पर टिकी है जिसे चार और स्तंभ सत्य प्रेम अनुशासन और न्याय में मजबूती दी है आज के वैश्वीकरण के युग में जब हिंसा और शोषण कदम कदम पर और दुनिया के हर कोने कोने में नजर आ रहा है तब गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता और बढ़ती जा रही है शायद यही कारण रहा होगा कि  वर्ष 2007 में यूनाइटेड नेशन ने भी 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय महत्व देते हुए अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसको लेकर वोटिंग हुई थी हर वर्ष गांधी जी का जन्मदिन एक नई यादों के साथ आता है याद करें 2017का गांधी जयंती जिस वर उसी वर्ष चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष भी पूरे हुए थे चंपारण सत्याग्रह सत्याग्रह था जिसने गांधी जी को पूरे देश में पहचान दिलाई थी वर्ष 2019 के गांधी जयंती पर हम सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित कर रहे हैं जिससे हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ बना सके क्योंकि गांधी जी कहा करते थे स्वच्छता आजादी से महत्वपूर्ण है आइए इस गांधी शास्त्री जयंती को हम शपथ ले कि हम इन दो महान सपूतों के पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करेंगे और उनके अधूरे सपने को पूरा करके उनकी प्रतिष्ठा को एक नई ऊंचाई देंगे |