सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग दिव्यांगता को जन्म देती है- डॉ उत्तम ओझा
                 # सोशल मीडिया और दिव्यांगता के आयाम* विषय पर संगोष्ठी 






वाराणसी। वाराणसी स्थित श्री अग्रसेन कन्या पी. जी .कॉलेज परमानंदपुर परिसर ,वीरांगना प्रेक्षागृह मे ' सोशल मीडिया और दिव्यांगता के आयाम ' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें अनेक विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार रखे। महात्मा गांधी की 150वीं जन्मशती के अवसर पर आयोजित  कार्यक्रम का शुभारंभ भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय  सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. उत्तम ओझा ,प्रख्यात मनोवैज्ञानिक डॉ.तुलसी ,डॉ.सुनील मिश्रा ,प्राचार्या. डॉ. कुमकुम मालवीया के द्वारा  दीप प्रज्जवलन से हुआ ।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि सोशल मीडिया संचार का आज इतना सशक्त माध्यम बन गया है,की बैठे बैठे पूरी दुनिया से हम बाते कर सकते हैं और दुनिया बदल सकते हैं।सोशल मीडिया  के अत्यधिक उपयोग से व्यक्ति वास्तविक जगत से दूर हो कर काल्पनिक जगत में अधिक जीने लगता है जिससे मानसिक दिव्यांग होने का खतरा उतपन्न हो जाता है। डॉ. कुमकुम मालवीय ने छात्राओं को सोशल मीडिया के एक निश्चित सीमा तक उपयोग करने की बात बताई । डॉ. तुलसी ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि छात्राये अपने माता पिता का यदि नाम रोशन करना चाहती है तो वास्तविक दुनिया मे जिए और व्हाट्सएप फेसबुक के पसंद नापसंद और कमेंट को सच मानकर अपना जीवन बर्बाद न करे । डॉ. संध्या ओझा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है कि हमारी आने वाली जनरेशन अधिक से अधिक ऑन लाइन रहने के कारण शारीरिक और मानसिक दिव्यांगता की ओर जा रहा है उन्हें ना उसे नींद आती है ना भूख प्यास लगती है सुनाई और दिखाई देना भी धीरे धीरे कम होता जा रहा है ।शारीरिक रूप से भी वह बेडौल शरीर ,न्यूरो की अनेक समस्याओ का शिकार होता जा रहा है ।समाज के लिए यह खतरे की घंटी है ।डॉ. ओ पी.चौधरी ने अंत में सभी का धन्यवाद देते हुए कहा कि अति किसी चीज की अच्छी नही होती ,हमे सीमाओ का पालन करना चाहिए ।इस अवसर पर डॉ शशि बाला , डॉ आराधना, डॉ मिथिलेश , डॉ एम. जी. शर्मा, डॉ. रीता अग्रवाल ,डॉ. दयाशंकर ,डॉ. निहारिका , डॉ. मंजरी एवं अनेक छात्राये उपस्थित रही।