दिल्ली में जहरीले पानी की सप्लाई को लेकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने आईटीओ पर किया रोष प्रदर्शन

जनता के अधिकार को छीनने वाले मुख्यमंत्री का सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है - मो. हारून


 नई दिल्ली।  दिल्ली की जनता को दूषित पानी पीने के लिए मजबूर करने वाली केजरीवाल सरकार के खिलाफ विकास मिनार, आई.टी.ओ पर अल्पसंख्यक मोर्चा के सैंकड़ों की संख्या में एकत्र कार्यकर्ताओं ने प्रचण्ड विरोध प्रर्दशन किया। हाथों में प्लैकार्ड लिये कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुये कहा दिल्ली का पानी दुषित है, साफ पानी जनता को दो, नहीं दे पा रहे तो, सत्ता छोड़ो, केजरीवाल शर्म करो केजरीवाल शर्म करो। प्रदर्शन का नेतृत्व अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष मोहम्मद हारून ने किया। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित किया। इस अवसर पर मोर्चा प्रभारी आतिफ रशीद, महामंत्री बिलाल मुस्तफा कुरैशी, खालिद कुरैशी, फिरोज मलिक, अमीर अहमद,  नाजिर हुसैन, शहीद खान सहित प्रदेश, जिला व मंडल के पदाधिकारी उपस्थित रहे।


    प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुये दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने पानी को लेकर देश में नई राजनीति का आगाज किया है। दलगत राजनीति से प्रेरित दिल्ली के मुख्यमंत्री जनता को साफ पानी तो दे नहीं पा रहे है लेकिन अपनी नाकामियों का ठिकरा फोड़ने के लिए उनके पास बहुत से झूठे आरोप प्रत्यारोप है जिसके आधार पर जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जाता है। पानी जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है लेकिन आज दिल्ली की जनता स्वच्छ पानी के लिए त्राहि त्राहि कर रही है। मुख्यमंत्री के पास केवल एक विभाग है और वो है दिल्ली जल बोर्ड लेकिन वो उसको भी ठीक से चलाने में पूरी तरह से फेल हो गये हैं। भाजपा ने जनता की आवाज बनकर हमेशा ही संघर्ष किया है और आज भी एकत्र अल्पसंख्यक मोर्चा के सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मुख्यमंत्री केजरीवाल की जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ हल्ला बोलने आये हैं और यह बताने आये हैं कि दिल्ली की जनता को या तो स्वच्छ पानी दो वर्ना मुख्यमंत्री इस्तीफा दो।


    दिल्ली भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष मोहम्मद हारून ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से 57 महीने के अपने कार्यकाल में केवल झूठ बोला है, यदि उन्होनें जनता के हितों के लिए काम किया होता तो आज जनता सड़कों पर उनके खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर रही होती। जनता के अधिकार को छीनने वाले मुख्यमंत्री का सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। नैतिकता के आधार पर उन्हें स्वंय ही अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। यदि वो इस्तीफा नहीं देंगे तो अगामी विधानसभा चुनावों में दिल्ली की जनता उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखायेगी।