महाराष्ट्र की सियासत में किंगमेकर बने शरद पवार

(बाल मुकुन्द ओझा)


महाराष्ट्र में आखिरकार महा हाईवोल्टेज ड्रामे का पटाक्षेप हो गया है। महाराष्ट्र विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। देवेंद्र फडणवीस ने अपनी सरकार का इस्तीफा दे दिया है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की और से संयुक्त रूप से नेता चुने गए उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता प्रशस्त हो गया है।  महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार एक बार फिर निर्विवाद रूप से राजनीति के चाणक्य साबित हुए है। 80  वर्षीय पवार ने 80 घंटे के अंदर ही अपने भतीजे अजीत पवार को पटकनी दे दी। पवार के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार शरद पवार ने अपने परिवार को आखिरकार टूटने से बचा ही लिया। मंगलवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवम्बर को विधान सभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया था। इससे पूर्व सोमवार को शरद पवार ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए 162 विधायकों की परेड कराकर अजीत पवार और भाजपा को उसकी औकात बता दी थी। अजीत पवार समझ गए की आंकड़ों के खेल में उनके चाचा जीत गए है तो उन्होंने चाचा के समक्ष घटने टेकने में अपनी भलाई समझी और उप मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भाजपा  बैकफुट पर आ गयी और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे का एलान कर दिया और उन्होंने राजभवन जा कर राज्यपाल को अपना त्याग पत्र सौंप दिया। जूनियर पवार पर पारिवारिक दवाब भी बढ़ गया था। उनके समर्थक भी उनका साथ छोड़ गए थे ऐसे में इस्तीफे के अलावा उनके सामने कोई विकल्प नहीं बचा था। इससे पहले अजित पवार ने एनसीपी के नेताओं से गुप्त मीटिंग की थी। इस मीटिंग में छगन भुजबल, प्रफुल्ल पटेल समेत कई नेताओं ने अजित पवार से इस्तीफा दे कर घर लौटने को कहा था। इसके बाद अजित पवार ने कहा था कि मैं आपको बताऊंगा। थोड़ी देर में अजित पवार के इस्तीफे की खबर आने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साढ़े 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में देवेंद्र फडणवीस ने अपने इस्तीफे का एलान कर दिया। फडणवीस ने बताया अजित पवार ने मुझसे मिलकर कहा कि वह इस सरकार में बने नहीं रह सकते और उन्होंने मुझे इस्तीफा दिया। उनके इस्तीफा देने के बाद बहुमत के लिए जितना विधायक बीजेपी को चाहिए उतने हमारे पास नहीं है। इसके बाद बीजेपी ने निर्णय लिया कि हमारे पास बहुमत नहीं है और मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया
इससे पूर्व एनसीपी नेताओं से मुलाकात के बाद अजित पवार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने उनके सरकारी आवास वर्षा गए थे इसी के साथ मंगलवार सुबह से ही अजित पवार को लेकर कयास लगने लगे थे।  शिवसेना के नेता संजय राउत ने भी कह दिया अजीत दादा हमारे साथ आ गए है। 
महाराष्ट्र का जनादेश भाजपा और शिवसेना के लिए था। मगर शिव सेना ने अपना मुख्यमंत्री बनाने को लेकर भाजपा का साथ छोड़ दिया। इसीबीच एनसीपी नेता अजीत पवार भाजपा से मिल गए और अपने 54 विधायकों के समर्थन का राज्यपाल को पत्र सौंप कर रातोंरात मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की शपथ ली। मगर 80 घंटे  में ही भाजपा का सपना चकनाचूर हो गया और पार्टी  को मुंह की खानी पड़ी है। इससे भाजपा की रणनीति की पोल भी खुल गयी।