सेहत का दुश्मन है धूम्रपान

(बाल मुकुन्द ओझा)


इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने वाले 'इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण एवं विज्ञापन ) प्रतिबंध विधेयक' को लोकसभा ने पारित कर दिया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से देश में युवा पीढ़ी को ई-सिगरेट जैसे नशे की चपेट में आने से रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा यह सही है कि भारत में कुल आबादी के करीब 0.2 प्रतिशत लोगों द्वारा ही ई सिगरेट का इस्तेमाल करने की खबर है लेकिन हाल ही में स्कूल के औचक निरीक्षण में बच्चों के बैग में 150 वाष्पीकरण उपकरण (वेपिंग डिवाइस) पाए गए। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के लिए एक वर्ष तक के कारावास अथवा एक लाख रुपए के जुर्माने या दोनों की सजा का प्रावधान किया गया है। ई-हुक्का, हीट नोट बर्न उत्पाद आदि युक्तियों पर भी  रोक लगायी गई है।
 ई-सिगरेट से कई प्रकार के विषैले पदार्थ निकलते हैं जिससे कई बीमारियां होती हैं और इसका जहर अचानक शरीर के किसी भी हिस्सों को प्रभावित करता है। ई-सिगरेट में निकोटिन पाया जाता है और अगर निकोटिन का सेवन शुद्ध रूप में किया जाय तो कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। ई सिगरेट स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत हानिकारक है. इसमें फार्मेल्डिहाइड, भारी धातुएं, बेंजीन जैसे तत्व होते हैं जो कैंसरकारी होते हैं। इसमें मौजूद ई तरल पदार्थ में ग्लाइकोजेन और निकोटिन पाया है जो जहरीला होता है।  
 भारत सरकार ने देश में ई-सिगरेट पर प्रतिबन्ध लगा दिया मगर सिगरेट पर नहीं। यह विवेचना का विषय हो सकता है की ई-सिगरेट ज्यादा खतरनाक है या सिगरेट। मगर यह बिलकुल सही है की हमारी सेहत के लिए दोनों ही खतरनाक है। एक सांपनाथ है तो दूसरा नागनाथ। महानगरों में ई-सिगरेट का प्रचलन बढ़ गया था। 
धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक होता हैं। ये बात टीवी, न्यूज पेपर, होर्डिंग में दिखने वाले विज्ञापनों में कई बार देखने को मिलती हैं. यहाँ तक कि सिगरेट के पैकेट पर भी लिखा होता हैं कि सिगरेट पीना हानिकारक हैं और  इससे कर्करोग होता है। लेकिन इसके बावजूद लड़के और लड़किया धड़ले  सिगरेट फूंकते जाते हैं।  अब जबकि देश में  ई-सिगरेट पर रोक लग चुकी है तो सिगरेट से होने वाले नुक्सान से भी लोगों को सावचेत करने की जरूरत है क्योंकि  ई-सिगरेट पीने वालो ने अब सिगरेट पीना शुरू कर दिया है।
विभिन्न शोधों से जो परिणाम सामने आये हैं वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि धूम्रपान, रक्त संचार की व्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव डालता है। धूम्रपान का सेवन और न चाहते हुए भी उसके धूएं का सामना, हृदय और मस्तिष्क की बीमारियों का महत्वपूर्ण कारण है। इन अध्ययनों में पेश किये गये आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि कम से कम सिगरेट का प्रयोग भी जैसे एक दिन में पांच सिगरेट या कभी कभी सिगरेट का सेवन अथवा धूम्रपान के धूएं से सीधे रूप से सामना न होना भी हृदय की बीमारियों से ग्रस्त होने के लिए पर्याप्त है। धूम्रपान के धूएं में मौजूद पदार्थ जैसे आक्सीडेशन करने वाले, निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के कारण हैं। धूम्रपान का सेवन इस बात का कारण बनता है कि शरीर पर इन्सोलीन का प्रभाव नहीं होता है और इस चीज से ग्रंथियों एवं गुर्दे को क्षति पहुंच सकती है। धूम्रपान के सेवन के हानिकारक प्रभावों से केवल लोगों के स्वास्थ्य को खतरा नहीं है बल्कि इससे आर्थिक क्षति भी पहुंचती है विशेषकर यह निर्धन लोगों की निर्धनता में वृद्धि का कारण है। 20 सिगरेट अथवा 15 बीड़ी पीने वाला एवं करीब 5 ग्राम सुरती, खैनी आदि के रूप में तंबाकू प्रयोग करने वाला व्यक्ति अपनी आयु को 10 वर्ष कम कर लेता है। इससे न केवल उम्र कम होती है, बल्कि शेष जीवन अनेक प्रकार के रोगों एवं व्याधियों से ग्रसित हो जाता है। सिगरेट, बीड़ी पीने से मृत्यु संख्या, न पीने वालों की अपेक्षा 50 से 60 वर्ष की आयु वाले व्यक्तियों में 65 प्रतिषत अधिक होती है। यही संख्या 60 से 70 वर्ष की आयु में बढ़कर 102 प्रतिशत  हो जाती है। सिगरेट, बीड़ी पीने वाले या तो शीघ्रता से मौत की गोद में समा जाते हैं या फिर नरक के समान जीवन जीने को मजबूर होते हैं। धूम्रपान के खतरे को देखते हुए सरकार को भी इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए ताकि न बजेगा बांस और न बजेगी बांसुरी।