दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दशा दयनीय -पीपीआरसी

दिल्ली। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की दशा एवं दिशा तथा सरकार के दावों को लेकर देश की सर्वमान्य शोध संस्था लोक नीति शोध केंद्र ने आज एक रिपोर्ट जारी की।पीपीआरसी के निदेशक डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे भाजपा के सांसद मनोज तिवारी ,मिनाक्षी लेखी,प्रवेश वर्मा,गौतम गंभीर और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू के साथ एक मोनोग्राफ "विकास बनाम प्रोपगैंडा की राजनीति "जारी किया। दिल्ली के शिक्षा तंत्र के सन्दर्भ में की गई अध्यन में  दिल्ली सरकार के प्रदर्शन और दावों में विसंगतियाँ पायी गई है।पीपीआरसी के निदेशक सुमीत भसीन के अनुसार बुनियादी ढांचे ,प्रक्रियाओं तथा परिणामों में दिल्ली सरकार के स्कूलों की स्थिति बहुत चिंताजनक है।  


इस शोध रिपोर्ट में 2015 से लगातार दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दसवीं के छात्रों के उत्तीर्ण प्रतिशत चिंताजनक 95.81 से घटकर 71.58 होना है जबकि केन्द्रीय विद्धालय का उत्तीर्ण प्रतिशत बढ़ा है।भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने कहा 51% से अधिक रिक्त पदों पर स्थायी शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया गया है जबकि निगम के स्कूलों में 88.9 % पद स्थायी शिक्षकों द्वारा भरे गए हैं।सांसद प्रवेश वर्मा ने सरकारी स्कूलों के छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला 1 प्रतिशत से भी कम पर चिंता जताते हुए कहा यह दिल्ली सरकार की खराब शिक्षा प्रणाली को दर्शाता है। 


दिल्ली सरकार के स्कूलों में छात्रों के ड्रॉपआउट दर में दर्ज चिंताजनक रूझान पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तिवारी ने कहा कि 2015-16 में जहाँ नौवीं कक्षा में 2,88,094 छात्रों ने दाखिला लिया था उसमे से केवल 1,30,136 छात्र अंततः 2018-19 में बारहवीं कक्षा तक पहुँच पाए।इससे यह स्पष्ट है की नवमी कक्षा में दाखिल हुए छात्रों में अधिकांश 55% छात्र बारहवीं कक्षा तक नहीं पहुँच पाते हैं। स्कूलों में पुनः दाखिले की स्थिति पर सांसद मिनाक्षी लेखी ने कहा कहा कि वर्ष 2018-19 में कक्षा नौवीं ,दसवीं ,ग्यारहवीं और बारहवीं में असफल रहे कुल 1,55,436 छात्रों में से केवल 52,582 को ही उसी कक्षा में पुनः दाखिला मिल पाया। यह गंभीर चिंता का विषय है कि एक वर्ष की अवधि में कुल 1,02,854 छात्र दिल्ली सरकार के स्कूलों के नकारत्मक रवैये की वजह से शिक्षा प्रणाली से बाहर हो गए जो गंभीर सवाल खड़े करता है और इसी तरह सरकार अपना उत्तीर्ण प्रतिशत अच्छा करने के चक्कर में लाखों छात्रों को प्रत्येक वर्ष शिक्षा से ही वंचित करती आ रही है।दिल्ली के स्कूलों में खेल सुविधाओं को लेकर सांसद गौतम गंभीर ने कहा की केजरीवाल सरकार के 5 वर्ष के शासन के बाद भी खेल में रुचि रखने वाले स्कूली छात्रों को प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए मैदान भी उपलब्ध नहीं है जो किसी भी हालत में स्वीकार नहीं है 


यह रिपोर्ट प्रमाणिक साक्ष्य के साथ यह निष्कर्ष निकालती है कि साल 2015 के बाद से दिल्ली सरकार के स्कूल में सभी मापदंडों को लेकर लगातार गिरावट देखी गई हैए फिर चाहे वह बुनियादी ढाँचा होए प्रक्रियाएँ हों या परिणाम हों। जो केंद्र सरकार और एमसीडी द्वारा चलाए जा रहे विद्यालयों के एकदम विपरीत है,जहां ये स्कूल इन सभी मानकों में दिल्ली सरकार के स्कूलों के मुकाबले निर्णायक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए नजर आते है।