देश दुनियां को नई दिशा देगा कोरोना

(श्याम सुन्दर जैन)


देश और दुनिया में कोरोना संक्रमण से महामारी फैल चुकी है और उससे मोर्चा लेने के लिए पूरी दुनिया हर संभव प्रयास कर रही है। उसी प्रकार भारत  के अंदर भी कोरोना कोविड से मोर्चे के लिए लोग बिना भेदभाव के एक दूसरे के सहयोग के लिए खड़े हैं। सांमजस्य की यह स्थिति सिर्फ भारत के अंदर ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में नजर आ रही है। ऐसा लगता है कि एक समझदार वैश्विक शक्ति नए रूप में उभर रही है और इसमें कोई शक की गुंजाइश भी नहीं है। कोरोना के इस संकट काल में विश्व बंधुत्व जैसी भी एक मिसाल बनती नजर आ रही है। उससे यह लगता है कि अब संकट के वक्त में सब लोग एक दूसरे की मदद करेंगे तथा एक दूसरे को संभालने की कोशिश भी करेंगे। यानि यह स्पष्ट हो रहा है कि कोरोना महामारी दुनिया में समझदारी का विस्तार भी कर रही है। 
कोरोना संकट काल में ध्यान देने के काबिल बात एक यह भी है कि  हमारे देश में ही नहीं विश्व में भी नस्ल, भाषा धर्म जाति और दल की जो राजनीति चल रही थी और लोग उस से बाज नहीं आ रहे थे। उसके बनिस्पत इस समय ऐसा लगता है कि दुनिया समझदार होती जा रही है और इस संकट से यह सबक जरूर लेगी। जैसे कोरोना ही नहीं भविष्य की अन्य वैश्विक आपदाएं मनुष्यों की बनाई सीमाओं में बंधने वाली नहीं है। यह ना ही यह मजहब और पार्टी को पूछती है, इसलिए ऐसी आपदाओं के दौरान सभी को एकजुट होकर इसका मुकाबला करना ही होगा।
हमारे देश में भी यह सुखद हालात देखने को मिल रहे हैं कि कम से कम सामाजिक और जाति धर्म व राजनीतिक परिदृश्य से अलग लगभग हर व्यक्ति मिलकर कोरोना के खिलाफ संघर्ष में जुटा हुआ है तथा एक दूसरे की मदद कर रहे हैं । पूर्वाग्रह ग्रस्त कुछ लोगों की बात को जाने दें, तो उसके अलावा यह निश्चित है कि हमारे विशाल लोकतांत्रिक देश में इस संकट में काल के दौरान गजब की एकजुटता दिखाई दे रही है। हालांकि कुछ लोग कोरोना वायरस पर भी राजनीति कर रहे हैं, मगर अधिकांश दल और राजनेता इस समय सहयोग की भावना के साथ जुटे नजर आ रहे हैं। एक यह बात और परिस्थितियों को यदि दुनिया की बड़ी ताकतें समझ ले। चीन अमेरिका जैसी महाशक्तियां आपसी आपसी तकरार को छोड़कर मानव जाति को बचाने के लिए एकजुट हो जाएं, तो इस संकटकाल में पूरी मानव जाति को बहुत बड़ी राहत मिल सकती हैं।
यह बात भी महत्वपूर्ण होती है कि संकट के समय हर प्रकार के क्षेत्र में लोग एकजुट होकर कैसे काम करते हैं ? इस महामारी ने इस बात को एक बार फिर उजागर कर दिया है कि भारत तमाम विविधताओं ही विषमताओं के बावजूद एक है। जहां बात इंसानियत और मानवता की रक्षा की आती है, वहां पर भारतवासी पूरी दुनिया को कुटुंब मानने के अपने आदर्श पर चलते हैं। लोग जितनी चिंता दिल्ली मुंबई को बचाने की करते हैं, उतनी ही चिंता विश्व के अन्य देशों की भी भारत देश करता है तथा यहां के राजनेता भी करते हैं और यहां की धर्म संस्कृति करती है। 
25 मार्च से संपूर्ण देश में लोक डाउन चल रहा है, लेकिन सच यह भी है कि कोरोना योद्धाओं की एक बड़ी फौज बन चुकी है। यह सभी दिन रात युद्ध स्तर पर संघर्ष कर रहे है। पूरे देश में किसी भी जाति, धर्म लिंग भाषा और दलगत के भेदभाव से उठकर लगभग अधिकांश लोग एक जैसे रणनीति बनाए हुए हैं। हर व्यक्ति चाहता है कि कोरोना के इस दैत्य को खत्म कर दिया जाए, ऐसा ही एक सामूहिक संकल्प नजर आ रहा है। 
यह तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है कि भारत देश के राज्यों में भले ही केंद्र सरकार के विरोधी विचारों वाली सरकारें हो, मगर इस वक्त वह सब भी केंद्र से कंधे से कंधा मिला हुए नजर आ रहे हैं। सबको पता है महामारी और मौत की कोई विचारधारा या कोई पार्टी नहीं होती। समझदार लोग जो इंगित करते हैं, उसी अनुरूप विभिन्न प्रान्तों के मुख्यमंत्री और राजनेता एक स्वर में बात कर रहे हैं। यदि एकजुटता व विचारों का इस घटनाक्रम के दौरान सामंजस्य नहीं होता तो संपूर्ण तालाबंदी कभी भी क्षेत्रीय राजनीति अथवा दलगत राजनीति की भेंट चढ़ गई होती। यही भावना और राष्ट्रहित की सर्वोपरि सोच भारतीय राजनीति का स्वभाव स्थाई रूप से बना रहे, यही कामना है।