धंधा चौपट, रोजी रोटी के लाले

(बाल मुकुन्द ओझा)        


कोरोना वायरस देश और दुनिया में कई तरह के संकटों को गहरा बना रहा है। कोरोना महामारी से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन समाज के गरीब और दिहाड़ी लोगों पर मुसीबत का पहाड़ बनकर टूटा है। चाय, पान, सिलाई, कढ़ाई, नाई , पंक्चर सड़क किनारे ठेले पर चाट, समोसा, लिट्टी, जलेबी  बेचकर परिवार पालने वाले इससे काफी प्रभावित हुए हैं।
 भारत में बेरोजगारी खतरे के निशान से ऊपर जाने का संकेत देने लगा है। देश  में आसन्न संकटों की दस्तक की आहट अब सुनायी देने लगी है। अर्थव्यवस्था के संकट के गहराने का खतरा साफ दिखने लगा है साथ ही दो हाथों को काम नहीं मिलने से रोजी रोटी का खतरा भी साफ दिखाई देने लगा है जिससे निकलने का कोई रास्ता सूझ नहीं रहा है। कोरोना  ने दुनियाभर में बेरोजगारी बम का आखिर विस्फोट कर ही दिया। इससे करोड़ों परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है और लोग विशेषकर रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी मजदूर भूखे मरने की कगार पर पहुँच गए है। सरकारी सहायता ऊंट के मुंह मेँ जीरा साबित हो रही है। यदि कुछ दिन और यही स्थिति रही तो दुनिया को पहली बार ऐसी भयंकर बेकारी से दो दो हाथ करने पड़ेंगे। लाकउाउन के समय में 40.4 प्रतिशत  लोग राजगार में थे इनमें से एक करोड़ लोगों को रोजगार खोना पड़ा है। यह भयावह आंकड़ा है।  यदि शहरी बेरोजगारों की संख्या देखी जाये तो उसका प्रतिशत 31 है। यह बेहद चिंताजनक है। 
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने देश में बेरोजगारी पर सर्वे रिपोर्ट जारी की है। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 23.5 फीसदी पर पहुंच गई है। अकेले अप्रैल महीने में बेरोजगारी दर में 14.8 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले महीने के मुकाबले अप्रैल में बेरोजगारी दर में तेज बढ़ोतरी हुई है।
संयुक्त राष्ट्र की श्रम इकाई अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पाद घटने, औद्योगिक गतिविधियां रुकने और सामान्य खरीद-फरोख्त व घूमने-फिरने से बचने का असर करोड़ों लोगों पर पड़ा है। कोरोना की वजह से दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार देशों में करोड़ों नागरिक रोजगार गंवा रहे हैं। लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियां सीमित होने के बाद इसका असर अब नजर आने लगा है। इन देशों के श्रम, रोजगार, सांख्यिकी और उद्योग विभागों द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आने वाले महीनों में भी हालात इसी तरह विकट बने रह सकते हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमईआई) ने दावा किया है कि अप्रैल के तीसरे हफ्ते में देश में बेरोजगारी दर 26.2फीसदी पहुंच गई है। यह मार्च में 8.4 फीसदी थी। खास बात है कि ग्रामीण भारत में कभी भी बेरोजगारी दर दहाई अंक तक नहीं पहुंची थी, लेकिन यह भी 26.7 फीसदी हो चुकी है। यह शहरों में 25.1 फीसदी है। आकलन है कि अब तक देश में 14 करोड़ लोग अपना काम गंवा चुके हैं। कोरोना वायरस की वजह से कृषि गतिविधियों का थम जाना इस का कारण माना जा रहा है। सीएमईआई के अनुसार जनवरी में देश में 41.1 करोड़ लोग रोजगार पा रहे थे, जो मार्च खत्म होने तक 39.6 करोड़ रह गए। सबसे ज्यादा नुकसान असंगठित क्षेत्र में हुआ है। श्रमिक वर्ग में 1.5 करोड़ को रोजगार मिल रहा था, जो 90 लाख ही रह गया है। सीआईआई के सर्वे के अनुसार, 52 प्रतिशत कंपनियां मान रही हैं कि नौकरियों में 30 फीसदी तक कमी आ सकती है।