कोटा में मिनी भारत को फिर से लगेंगे पंख 

(डॉ प्रभात कुमार सिंघल)


कोरोना की वैश्विक महामारी का संकट इतना बड़ा है कि बडी - बडी शक्तियां हिल गई हैं। भारत जिस प्रकार पूरी हिम्मत से इस का सामना कर रहा है एउसकी जब सारे राष्ट्र सरहना करते हैं तो यह भारत के लिये गर्व की बात है। कोरोना से लड़ाई लम्बी है पर हमें न झुकना है,न टूटना है,न थकना है।भारत के प्रधान मंत्री जब यह कहते हैं तो समस्त भरवासियों का सीना गर्व से फूल जाता है। याद हो आती है यह पंक्ति हम परों से नहीं हौसलों से उड़ान भरते हैं।
यही होंसला और जज्बा न केवल कोटावासियों के मन में है वरण जिन स्टूडेंट्स के कारण कोटा में मिनी भारत बस्ता है और जब वे कोरोना के संकट में अपने घर रवाना हुए उनके मन में भी रहा। वे खुशी से पर भारी मन से कोटा को इस आशा के साथ अलविदा कह गए कि फिर मिलेंगे कोटा,जल्द लौटेंगे, थैंक्यू ,मिस यू कोटा।
मंगलवार की रात जब प्रधानमंत्री जी देशवासियों के हौसला बढ़ा रहे थे उसी के कुछ देर बाद बिहार के लिए ट्रेन से अपने घर जाने वाले स्टूडेंट्स कोटा में फिर से आने की अपनी भावना प्रकट कर कोटा के लिए शुभकामनाएं कर रहे थे। पिछले कई दिनों से बस एवं रेल से स्टूडेंट्स को उनके घर रवाना करने की पहल का आखिरी दिन था। रवाना होने से पहले जिला कलेक्टर एवं कोचिंग संचालकों ने तालियां बजा कर खुशी से उन्हें विदा की उनकी सलामती की दुआ मांगी वहीं स्टूडेंट्स ने भी फिर से मिलने का वायदा किया।
प्रधानमंत्री जी ने एक बार कहा था,कोटा शिक्षा का काशी है।यह उन्होंने यूं ही नहीं कहा,कोटा में बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखण्ड,मध्यप्रदेश,हिमाचल,गुजरात,असम,जम्मू -कश्मीर,पंजाब,चंडीगढ़,छत्तीसगढ़,कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिसा, महाराष्ट्र,झारखंड,दिल्ली,त्रिपुरा,मेघालय, दादर नगर हवेलीएकेरलएतमिलनाडुएअरुणाचलएमणिपुर एवं राजस्थान से प्रतिवर्ष करीब 2 लाख स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं। इन्हीं से  कोटा के दिल में मिनी भारत के दर्शन होते हैं। कोरोना के संकट के कारण अपने घर नहीं जा सके 43 हज़ार से ज्यादा स्टूडेंट्स को सुरक्षित उनके घर पहुँचाया गया।


कोटा से स्टूडेंट्स क्या गये कोटा के दिल से मिनी भारत गायब हो गया। कोचिंग इलाकों में सन्नाटा पसर गया।सड़कें सांय.सांय करती हैं। होस्टल खाली हो गए।कोचिंग सेंटर बंद हो गये। स्टूडेंट्स की जरूरतों को पूरा करने वाली छोटी.छोटी दूकानें बंद हैं। खोलने की अनुमति होने के बाद भी नहीं खुल रही हैं। कहते हैं हमें रोजगार देने वाले ही चले गए तो अब क्या करेंगे खोल कर,क्यों खोले,किस के लिए खोले। करीब हर साल कोटा में करीब 5 हज़ार करोड़ की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाली कोचिंग इंडस्ट्री कोरोना के सन्नाटे में दम तोड़ रही है।यह स्थिति निसंदेह कोटा की अर्थव्यवस्था की दृष्टि से चिंतनीय है,कोचिंग कारोबार से जुड़े लोगों में विभिन प्रकार की घबराहट पैदा करती है और भविष्य को लेकर अंधकार नज़र आता है।   हमें प्रधानमंत्री जी के मंत्र पर चलना होगा और सोचना होगा कि न टूटेंगे,न झुकेंगे,न थकेंगे। धैर्य और संयम से काम लेना होगा। वैसे भी कोरोना से उत्पन्न परिस्थिजन्य स्थिति लंबे समय तक रहने वाली नहीं है। कोटा कोचिंग में देश के बेस्ट कोचिंग सेंटर.बेस्ट फैकल्टी हैं एस्टडी का अपना पैटर्न है,परिणाम उत्कृष्ट हैं। देश में कोटा कोचिंग स्टूडेंट्स का चयन अनुपात सर्वाधिक है।भावी डॉक्टर एवं इंजीनियर बनने के सपने आंखों में संजोए स्टूडेंट्स  माहौल अनुकूल होते ही वापस आएंगे। नए रूप में शुरू होगी कोचिंग इंडस्ट्री। स्टूडेंट्स की चहल.पहल से गुलजार होगा कोटा। इस से जुड़े कारोबारियों की आंखों में फिर से चमक दिखाई देगी। जल्द ही समय आएगा जब कोटा में मिनी भारत को फिर से लगेंगे पंख।