रेल पटरियों पर खौफनाक मौतें

(बाल मुकुन्द ओझा)


रेल पटरियों पर मौत का शिकार गरीब ही क्यों होता है। यह बेहद विचारणीय है। भारत में हर साल पटरियों पर दर्दनाक मौतों की खबरे एक बार सियासी सुर्खी बनती है और फिर जन जीवन सामान्य हो जाता है। ऐसा वर्षों से हो रहा है और आज तक इसका कोई सर्व मान्य हल नहीं निकल पाया है। गरीबों को पटरियों से कटने का कोई मजा नहीं आता है। वे किसी न किसी मजबूरी में पटरियों पर जान हथेली पर रखकर चलते है। यहाँ तक की छोटे बच्चे भी इस दौरान उनके गोदी में होते है। कोरोना कितनी जिन्दगियों को लिलेगा अभी किसी को पता नहीं है। औरंगाबाद में थके हारे मजदूर अपने घर के रस्ते की और उन्मुख थे। इसी दौरान उन्हें पटरियों पर नींद ने आ घेरा और काल रूपी ट्रैन ने उन्हें कुचल डाला और ऊपर के घर का रास्ता दिखा दिया। मृतकों के पास रोटियां बरामद हुई जो भूख मिटने का उनका सहारा बनी थी। बेहद खौफनाक मंजर था यह।  
 महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 मजदूरों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। ये सभी पैदल-पैदल ट्रेन पकड़ने रेलवे स्टेशन जा रहे थे। स्टेशन तक पहुंचने के लिए इन्होंने पटरी का रास्ता चुना और रात में वहीं सो गए, सुबह एक मालगाड़ी से कटकर इनकी मौत हो गई। जिस रोटी की तलाश में घर से निकले थे, वह उनके बेजान शरीर के पास बिखरी पड़ी थी ।  मालगाड़ी से 16 मजदूरों के कटने का मंजर दिल को चीर रहा है। खामोश पटरियों पर मौत का सन्नाटा पसरा है। लॉकडाउन के चलते ये सभी मजदूर अपने घर जाने के लिए 40 किलोमीटर चलकर आए थे। थकान ज्यादा लगी, तो पटरी पर सो गए। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनका सफर यही खत्म हो जाएगा।
ये सभी मजदूर मध्य प्रदेश के उमरिया और शहडोल जिले के रहने वाले थे जो अपने घर वापस लौट रह थे। पुलिस ने बताया की यह हादसा औरंगाबाद के करमद के पास सुबह 5.15 बजे हुआ है जिसमें 16 मजदूरों की मौत हो गई है, जबिक दो अन्य घायल हो गए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।
पटरी पर कुछ लोगों को देखकर ड्राइवर ने ट्रेन को रोकने की कोशिश भी की लेकिन शायद ट्रेन इतनी स्पीड में थी को उसे रोक नहीं पाया और यह हादसा हो गया। रेलवे मंत्रालय ने बताया कि सुबह में मालगाड़ी के ड्राइवर ने दूर देख लिया था कि कुछ प्रवासी मजदूर पटरी पर हैं। इस दौरान उसने ट्रेन को रोकने की पूरी कोशिश भी की लेकिन वह असफल रहा और ट्रेन उन लोगों पर चल गई। मत्रालय ने बताया कि घायलों को औरंगाबाद सिविल अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है और इसके साथ ही घटना की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं।
मौत की सौदागर बनी पटरिया 
देश में रेल की पटरियों पर वर्ष 2016 से 2019 के बीच कुल 56,271 लोगों की मौत हुई, जबकि चार साल की इस अवधि में 5,938 लोग पटरियों पर घायल हुए। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत यह जानकारी हासिल हुई है। हालांकि, आरटीआई जवाब में इसका विशिष्ट ब्योरा नहीं दिया गया है कि ये लोग रेल पटरियों पर किस तरह हताहत हुए। आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार  रेल पटरियों पर वर्ष 2016 में 14032, 2017 में 12838, 2018 में 14197 और 2019 में 15204 लोगों की मौत हुई। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले साल 2019 में औसत आधार पर हर दिन करीब 42 लोगों ने रेल पटरियों पर दम तोड़ा। आरटीआई जवाब के मुताबिक वर्ष 2016 में 1343, 2017 में 1376, 2018 में 1701 और 2019 में 1518 व्यक्ति रेल पटरियों पर घायल हुए। ये आंकड़े प्रदेशों की राजकीय रेल पुलिस (जीआरपी) से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर रेलवे बोर्ड के सुरक्षा निदेशालय में जमा किए गए हैं।